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योगी का बुल्डोजर मध्य प्रदेश में शिवराज के लिए क्यों नहीं कारगर?

शिवराज के लिए बुल्डोजर कारगर नहीं

उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए बुलडोजर भले ही चुनावी शब्दावली का हिस्सा बन चुका हो, लेकिन यह मध्य प्रदेश में शिवराज पार्टी के लिए कारगर साबित नहीं हुआ है. योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुलडोजर के इस्तेमाल के बाद, एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बुलडोजर को कथित पत्थरबाजों के घरों और संपत्तियों को ध्वस्त करने की अनुमति दी. इस कदम से शिवराज को योगी आदित्यनाथ के “बुलडोजर बाबा” की तर्ज पर “बुलडोजर मामा” कहा जाने लगा. बीजेपी ने आकलन किया कि आदित्यनाथ की अच्छे कानून और व्यवस्था के रिकॉर्ड को बनाए रखने में साहसिक छवि ने उसे सत्ता में लौटने में मदद की थी.

काम नहीं आई “बुलडोजर राजनीति”

योगी की “बुलडोजर राजनीति” से प्रभावित होकर शिवराज सरकार ने भी इसकी शुरुआत की लेकिन राज्य सरकार का यह कदम पार्टी के लिए ज़्यादा फायदमंद साबित नहीं हो सका.मध्य प्रदेश में, जहां हिंदू आबादी का 90 प्रतिशत से अधिक है और मुस्लिम लगभग सात प्रतिशत हैं, “बुलडोजर” राजनीति काम नहीं करती है, बीजेपी के एक नेता ने कहा, ‘राज्य में हिंदू-मुस्लिम राजनीति कोई मुद्दा नहीं रहा है, लेकिन जाति की राजनीति यहां ज्यादा गहराई से काम करती है.

बीजेपी के प्रयास बाधित

खरगोन सांप्रदायिक झड़पों के बाद अधिकारियों ने 49 मुस्लिम घरों को ध्वस्त कर दिया, जिनमें से कुछ का निर्माण पीएम आवास योजना के तहत किया गया था. इस घटना ने कई एससी एसटी संगठनों ने एकजुट विपक्ष का आह्वान किया था. छोटे आदिवासी और दलित संगठनों के बीच व्यापक नाखुशी ने दोनों समुदायों को अपने पाले में वापस लाने के बीजेपी के प्रयासों को बाधित कर दिया था.असल में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भले ही बीजेपी का शासन हो ,लेकिन कुछ बातों को लेकर बुनियादी फर्क है.एक ओर जहां शिवराज सिंह की छवि एक सॉफ्ट राजनेता की रही है वहीं योगी आदित्यनाथ एक सख्त राजनेता के तौर पर जाने जाते हैं. भ्रष्टाचार और अपराध के मामलों में वह जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हैं, जिसे हासिल करने में शिवराज सरकार को मुश्किलें आ रही हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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