
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस.

दिल्ली/ एनसीआर: आज महिला दिवस है, आधी आबादी का दिन है. ज़ाहिर है हर महिला के लिए ये दिन बेहद ख़ास है. भारत एक्सप्रेस ने उन महिलाओं से बात की जो अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ रही हैं, जो देश और समाज के सामने अपनी कर्तव्यनिष्ठता की लकीर खींच रही हैं.
गाजियाबाद के क्रॉसिंग रिपब्लिक थाने में थानाध्यक्ष पद पर तैनात हैं. उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वह अपने बच्चों की परवरिश के साथ-साथ बेहतर ढंग से अपना कर्तव्य निर्वहन कर रही हैं. प्रीति ने कहा- मेरे लिए ये दिन बेहद ख़ास हैं. उन्होंने देश भर की महिलाओं को बधाई दी. साथ ही अपनी कविता के माध्यम से अपनी बात रखी.
“है किरदार में उसके मिलावट नहीं
है स्वभाव में कोई विविधता नहीं
जन्म जिसका हुआ धरती पर सृजन के लिए
है अद्भुत वो महिला साधारण नहीं
है हाथों में उसके सैकड़ों भुजाओं का बल
उसके साहस को कोई डिगा न सका ।
कोई इरादों से उसको डिगा न सका ।”
27 साल की शिल्पा प्रजेश पेशे से इवेंट मैनेजमेंट को लीड करती हैं. शिल्पा के लिए घर और बाहर की ज़िंदगी को मैनेज करना आसान नहीं है, लेकिन वो बेहद शानदार तरीके से अपना भविष्य लिख रही हैं. महिला दिवस को लेकर सवाल सुनते ही उनके चेहरे पर मुस्कान तैर जाती है.
शिल्पा कहती हैं- “देखिए! महिलायें आज जमीं से आसमान तक पर शानदार काम कर रही हैं । आप सोचिए कि भारतीय महिलाएं आज न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के तमाम देशों में अपनी कामयाबी की पटकथा लिख रही हैं । यकीन मानिए! भारत बदल रहा है और भारत की महिलाएं भी ।”
24 साल की राजश्री सिंह पेशे से इवेंट होस्ट करती हैं और एक मैगज़ीन की संपादक भी हैं ।राजश्री को लगता है कि महिलायें भगवान की सबसे खूबसूरत कृति हैं । इसलिए सबको महिलाओं का सम्मान करना चाहिए । कुछ भी हो तो लोग लड़कियों पर सवाल उठाते हैं लेकिन लोग लड़कों पर सवाल नहीं उठाते हैं । ये बेहद ख़राब स्थिति है.
राजश्री यहीं नहीं रुकतीं. वे कहती हैं- महिलाएँ धरती से आसमान नापने में सक्षम हैं. दुनिया भर के लोग अब मानते हैं कि जो काम महिलाएं बेहद सफ़लता से कर लेती हैं वो कोई पुरुष इतनी आसानी से नहीं कर सकता.”
सेक्टर 63 नोएडा में यमी फूडी अड्डा चलाने वाली अलका बेहद मस्तमौला हैं. बेहद पढ़ी लिखी होने के बाद भी नौकरी करने के नाम पर बिदक जाती हैं. कहती हैं- “मेरे लिए आज़ादी का मतलब काम की आज़ादी है. घूमने की आज़ादी है। काम करने की आज़ादी है. अपने सपने को जी लेने की आज़ादी है. मैं अपनी कहानी ख़ुद लिखती हूँ और मेरी कहानी की हीरो मैं ख़ुद हूँ.”
महिला दिवस को लेकर पूछे गए सवाल पर अलका कहती हैं- “मैं चाहती हूँ की महिलायें अपनी किस्मत ख़ुद लिखें. नौकरी में अपना समय बर्बाद न करें । बस यही कहना है कि हर लड़की अपनी दुनिया ख़ुद बनाए और एक दूसरे की मदद को हाथ बढ़ाएँ.” भारत एक्सप्रेस इन महिलाओं के जोश और ज़ज़्बे का सम्मान करता है और महिला दिवस की शुभ कामनायें प्रेषित करता है.
-भारत एक्सप्रेस
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