R Praggnanandhaa
भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानंदा (R Praggnanandhaa) को FIDE विश्व कप फाइनल में हार मिली है . दुनिया के नंबर 1 खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) एक बार फिर वर्ल्ड चैंपियन बने हैं. लेकिन शतरंज के इस फाइनल मुकाबले में प्रज्ञानंदा ने कार्लसन को कड़ी टक्कर दी. तीन दिनों तक चले फाइनल मुकाबले में अंत तक प्रज्ञानंदा हावी रहे. मंगलवार को पहला गेम 35 चालों के बाद ड्रॉ पर समाप्त हुआ था. मैग्नस कार्लसन, तीसरे दिन खिताब अपने नाम करके वर्ल्ड चैंपियन बने हैं. दोनों खिलाड़ियों के बीच पहले दोनों बाजी ड्रॉ रही थी.
प्रज्ञानंदा ने बड़े-बड़े खिलाड़ियों को चटाया है धूल
25 मिनट की समय सीमा के साथ रैपिड प्रारूप में टाई-ब्रेकर में दो गेम खेले गए. प्रत्येक चाल के लिए, प्रत्येक खिलाड़ी को अपने संबंधित समय में 10 सेकंड अतिरिक्त दिए गए थे. पहले ट्राइब्रेकर को मैग्नस कार्लसन ने जीता. दूसरे को भी उन्होंने ही जीता. बता दें कि प्रज्ञानंदा महज 18 साल के हैं लेकिन उन्होंने कई बड़े खिलाड़ियों को धूल चटा दिया है. प्रज्ञानंदा को आज टाईब्रेक में हार मिली. बावजूद इसके हर भारतीय को उन पर गर्व है. इस युवा लड़के ने हर योद्धा को धूल चटा दी थी. 18 वर्षीय इस युवा खिलाड़ी को लंबे समय से विश्वनाथन आनंद के उत्तराधिकारी के रूप में देखा जाता रहा है, जो 5 बार के विश्व चैंपियन हैं.
प्रज्ञानंदा ने शतरंज खेलना कब शुरू किया?
अपनी बहन को खेलते हुए देखकर प्रज्ञानंदा भी शतरंज खेलना शुरू किया. प्रतिभाशाली खिलाड़ी को पहली सफलता 2013 में मिली जब उन्होंने 7 साल की उम्र में अंडर -8 विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीती. इस जीत से उन्हें फिडे मास्टर का खिताब मिला. इस खिलाड़ी ने 2015 में अंडर-10 वर्ग में फिर से खिताब जीता.
प्रज्ञानंदा 2016 में 10 साल 10 महीने और 19 दिन की उम्र में सबसे कम उम्र के अंतर्राष्ट्रीय मास्टर बने. अगले साल 2017 में उन्होंने विश्व जूनियर शतरंज चैम्पियनशिप में अपना पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म जीता.
दूसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर
वर्ष 2018 में 12 साल, 10 महीने और 13 दिन की उम्र में उपलब्धि हासिल करने के बाद प्रज्ञानंदा दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर बने. उन्होंने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने के लिए इटली में ग्रेडिन ओपन में लुको मोरोनी को हराया.
-भारत एक्सप्रेस
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