

दिल्ली हाईकोर्ट में जजों की रिक्त पदों को भरने के लिए एक जनहित याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की गई है. यह याचिका अधिवक्ता अमित साहनी ने दाखिल की है और कहा है कि कोर्ट में जजों की स्वीकृत पद 60 हैं, जबकि वहां कार्यरत 36 जज ही हैं. इस तरह से जजों के 40 फीसदी पद रिक्त हैं.
याचिका में कहा गया है कि यह कमी जजों के सेवानिवृत होने एवं अन्य हाईकोर्ट में स्थानांरित होने से है. इसके बावजूद जजों की नियुक्ति के लिए सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है. जबकि पद रिक्त होने से काफी समय पहले नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए.
याचिका में कहा गया है कि न्यायमूर्ति रेखा पल्ली एवं न्यायमूर्ति अनूप कुमार मेंदीरत्ता हाल ही में सेवानिवृत्ति हुए हैं, जबकि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा, न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह एवं न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा अन्य हाईकोर्ट में स्थानांतरित हुए हैं. उसमें यह भी कहा गया है कि आने वाले महीनों में दो और जज न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा व न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है. उसके बाद जजों की संख्या 34 रह जाएगी. उस वजह से लंबित मामलों की सुनवाई में और देरी होगी.
मौजूदा में जजों के पास काफी मामले लंबित
जजों के कमी का नुकसान सबसे ज्यादा निम्न सामाजिक-आर्थिक वर्ग के लोगों को होगा. क्योंकि उक्त समूहों को अक्सर बोझिल न्यायिक पण्राली के कारण न्याय तक पहुंचने में काफी देरी का सामना करना पड़ता है. अधिक जजों की नियुक्ति कर हाईकोर्ट अधिक कुशलता से लंबित मामलों को संभाल सकता है.
उसकी संख्या कम कर सकता है और जनिहत में विवादों का त्वरित सुनवाई कर सकता है. उसमें कहा गया है कि न्याय पण्राली में जनता के विास को कम होने से बचाने के लिए उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई किया जाना जरूरी है. उससे न केवल आम जनता को लाभ होगा, बल्कि जजों को भी लाभ होगा क्योंकि मौजूदा में जजों के पास काफी मामले लंबित हैं, जिससे उनके मानसिक स्वस्थ्य के साथ मनोबल और न्यायिक दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इस मामले में केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय, दिल्ली हाईकोर्ट व अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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