
तमिलनाडु की दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की भतीजी जे दीपा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने आय से अधिक संपत्ति मामले में जब्त की गई संपत्तियों को वापस करने की मांग करते हुए विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की है.
याचिका में क्या कहा गया है?
जे दीपा ने अधिवक्ता डॉक्टर एम सत्य कुमार के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में तर्क दिया गया है कि दिसंबर 2016 में जयललिता की मृत्यु के बाद उनके खिलाफ आपराधिक मामला स्वतः समाप्त हो गया था, इसलिए उनकी जब्त की गई संपत्तियां वापस की जानी चाहिए.
इसके अलावा, मद्रास हाई कोर्ट ने 27 मई 2020 को आदेश दिया था कि याचिकाकर्ता (जे दीपा) और उनके भाई जे दीपक को जयललिता की संपत्तियों का कानूनी उत्तराधिकारी माना जाए. हाई कोर्ट ने उनके व्यक्तिगत, फर्मों या कंपनियों के नाम पर दर्ज संपत्तियों के संबंध में भी प्रशासनिक अधिकार दिए थे.
कर्नाटक हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका
इससे पहले, जयललिता के भतीजे जे दीपक और भतीजी जे दीपा ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. वे खुद को जयललिता का कानूनी उत्तराधिकारी बताते हुए उनकी जब्त संपत्तियों पर अधिकार मांग रहे थे. हालांकि, हाई कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में जयललिता की मृत्यु के बाद उनके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही समाप्त करने का आदेश दिया था, लेकिन उनकी जब्त संपत्तियों को बरकरार रखा था.
जयललिता के उत्तराधिकारियों ने तर्क दिया था कि चूंकि उनके खिलाफ मामला खत्म हो चुका है, इसलिए उनकी संपत्तियां जब्त नहीं होनी चाहिए. लेकिन हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अन्य आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा है, इसलिए जब्त की गई संपत्तियां वैध बनी रहेंगी.
जब्त संपत्तियों में क्या शामिल है?
जयललिता की जब्त संपत्तियों में तमिलनाडु सरकार के स्वामित्व वाली विभिन्न संपत्तियां शामिल हैं, जैसे चेन्नई का पोएस गार्डन स्थित प्रसिद्ध आवास ‘वेदा निलयम’, आय से अधिक संपत्ति मामले से जुड़ी जमीनें और अन्य संपदाएं, उनके नाम पर बैंक जमा राशि और वित्तीय परिसंपत्तियां, सोने के आभूषण और बहुमूल्य वस्तुएं. सीबीआई ने 1 जुलाई 1991 से 30 अप्रैल 1996 के बीच की गई जांच के दौरान इन संपत्तियों को जब्त किया था.
सितंबर 2014 में ट्रायल कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत जयललिता को दोषी करार दिया था. उन्हें चार साल की सजा सुनाई गई थी और 100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था. जयललिता ने इस फैसले के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में अपील दायर की थी. हाई कोर्ट ने उनकी दोषसिद्धि को खारिज करते हुए उन्हें बरी कर दिया. इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन इसी दौरान 2016 में जयललिता का निधन हो गया. अब, उनकी भतीजी जे दीपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि उनकी संपत्तियां कानूनी उत्तराधिकारियों को सौंप दी जाएं. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.
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-भारत एक्सप्रेस
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