कर्नाटक उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (फाइल फोटो)
कर्नाटक सरकार द्वारा उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की जांच की सहमति वापस लेने के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. याचिका में आय से अधिक संपत्ति के मामले में डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार की सहमति वापस लेने को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में कथित आरोपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया था. डीके शिवकुमार ने सीबीआई द्वारा दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी.
हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एस सी शर्मा की बेंच ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वो हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते है. सुप्रीम कोर्ट डीके शिवकुमार की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमे उन्होंने हाई कोर्ट के 19 अक्टूबर 2023 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
10 फरवरी सीबीआई की कार्यवाही पर लगी थी रोक
बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने 10 फरवरी को शिव कुमार के खिलाफ भ्र्ष्टाचार के एक मामले में सीबीआई की कार्यवाही पर रोक लगा दिया था. बता दें कि डीके शिवकुमार ने इससे पहले सीबीआई केस को रद्द करवाने के लिए कर्नाटक हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसपर सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया था.
3 सितंबर 2020 को सीबीआई ने दर्ज किया था केस
हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ डीके शिवकुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि डीके शिवकुमार के खिलाफ दर्ज भ्र्ष्टाचार के मामले की जांच 3 महीने में पूरा करने को कहा था. ज्ञात हो गया सीबीआई ने आरोप लगाया है कि डीके शिवकुमार ने 2013 से 2018 के बीच कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए अपने ज्ञात आय के स्रोतों से इतर बेतहाशा संपत्ति हासिल कर ली. सीबीआई ने मामले में 3 सितंबर 2020 को केस दर्ज किया था. वही डीके शिवकुमार ने इस मामले को 2021 में चुनौती दी थी. गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ी राहत देते हुए डीके शिवकुमार के खिलाफ 2018 में दर्ज मामले को रद्द कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि शिव कुमार PMLA के तहत शुरू की गई कार्यवाही कानून और नियम सम्मत नही होने से रद्द किया जाता है.
-भारत एक्सप्रेस