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सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों ने हाईकोर्ट का किया रुख, फोन को लेकर की ये खास अपील

हिज्ब-उल-मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों ने टेलीफोन सुविधा बहाल करने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 22 मई की तारीख तय की है.

Delhi HC

दिल्ली हाईकोर्ट (प्रतीकात्मक फोटो)

हिज्ब-उल-मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के जेल में बंद बेटों ने अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बात करने की सुविधा बहाल करने की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उन्होंने इसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और तुषार राव गेडेला की बेंच मामले में सुनवाई कर रही हैं.

कोर्ट ने राज्य सरकार और जेल अधिकारियों की ओर से किसी वकील के पेश नही होने पर मामले को 22 मई को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. सलाहुद्दीन के बेटे सैयद अहमद शकील व सैयद शाहिद यूसुफ ने दिल्ली जेल नियमावली के नियम 631 को चुनौती दी है.

इस नियम के अनुसार राज्य के खिलाफ अपराध, आतंकवादी गतिविधियों एवं अन्य जघन्य अपराधों के आरोपी टेलीफोन और इलेक्ट्रॉनिक संचार सुविधाओं का इस्तेमाल करने से प्रतिबंधित है. लेकिन जेल अधीक्षक को उप महानिरीक्षक (रेंज) पूर्व स्वीकृति के आधार पर व्यक्तिगत मामलों में उचित निर्णय लेने का अधिकार देता है.

 आतंकी साजिश और विदेशी फंडिंग का आरोप

NIA ने कहा कि यूसुफ को विदेश से हिज्ब-उल-मुजाहिदीन से धन प्राप्त करने के आरोप में अक्टूबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था और वर्ष 2018 में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया था. वहीं शकील ने कथित तौर पर फरार आरोपी एजाज अहमद भट से वेस्टर्न यूनियन के माध्यम से धन प्राप्त किया था. उसका नाम सऊदी अरब के कैडर के माध्यम से आतंकवादी संगठन से धन जुटाने, इक्कठा करने और प्राप्त करने में भी सामने आया था.

अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी सैयद सलाहुद्दीन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन का स्वंभू कमांडर है. NIA ने हवाला के जरिए लेन देन के मामले से जुड़ें आतंकी वित्तपोषण मामले में दोनों को गिरफ्तार किया था. फिलहाल वो दिल्ली के अलग-अलग जेलों में बंद है. उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि आतंकी मामलों में मुकदमे का सामना कर रहे कई अन्य आरोपियों ने भी हाई कोर्ट का रुख किया है. उन्होंने जेल अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर बंद की गई उनकी फोन सुविधाओं को बहाल करने की मांग की है.

आतंकवादी वित्तपोषण मामले में गिरफ्तारी

कोर्ट ने जनवरी में सुनवाई के दौरान कहा था कि आतंकवाद, महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) और अन्य जघन्य आरोपों का सामना कर रहे कैदियों को नियमित टेलीफोन और इलेक्ट्रॉनिक संचार करना प्रथम दृष्टया.मनमाना नहीं है. शकील की NIA ने 2011 में दर्ज आतंकी वित्तपोषण मामले में 30 अगस्त 2028 को श्रीनगर स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया था.

NIA का यह मामला पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर में हवाला चैनलों के माध्यम से धन हस्तांतरित करने से संबंधित है. यह आपराधिक साजिश भारत में कुछ गुर्गों के साथ मिलकर रची गई थी. जिससे जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके और उन्हें वित्तपोषित किया जा सके.

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-भारत एक्सप्रेस 



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