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दिल्ली हाईकोर्ट ने सराय काले खां में तहबाजारी हटाने पर रोक से किया इनकार, कहा- RRTS जनहित परियोजना है

दिल्ली हाईकोर्ट ने आरआरटीएस परियोजना के तहत सराय काले खां में तहबाजारी हटाने के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज की. कोर्ट ने कहा कि यह एक जनहित बुनियादी ढांचा परियोजना है और अस्थायी ढांचे विकास में बाधा नहीं बन सकते.

दिल्ली हाईकोर्ट

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दिल्ली हाईकोर्ट ने क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) परियोजना के तहत मेट्रो रेल स्टेशन के विकास के लिए सराय काले खां में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) की ओर से तहबाजारी वाले जगहों को तोड़ने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.

जस्टिस प्रतिबा मनिंदर सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की पीठ ने कहा कि आरआरटीएस एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है. जबकि तहबाजारी बुनियादी ढांचा परियोजना स्वयं अस्थायी प्रकृति का है. इसलिए विकास गतिविधियों को रोका नहीं जा सकता है.

जनहित में महत्वपूर्ण है RRTS परियोजना: हाईकोर्ट

अदालत ने कहा है कि इस बात को ध्यान में रखा जाए कि आरआरटीएस परियोजना जनहित की परियोजना हैं. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यह नहीं कह सकता कि उसे बेदखल नहीं किया जा सकता है. कियोस्क को तोड़ने के खिलाफ दुकानदारों ने याचिका दाखिल की थी.

उन्होंने कहा था कि उसे दिल्ली नगर निगम ने जगह आवंटित किया है. उसे वहां से नहीं हटाया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि दुकान के आसपास ही विकास कार्य किया जा रहा है. उसमें याचिकाकर्ताओं के खोखे विकास के आड़े आ रहा है. उन्हें अपना खोखे से समान को हटा लेना चाहिए.जहां तक तहबाजारी के लिए वैकल्पिक जगह की मांग है, उसपर निगम दो महीने के भीतर उचित निर्णय ले.

दो दिन में सामान हटाने का नोटिस

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा था कि एनसीआरटीसी ने उनलोगों को सामान हटाने के लिए केवल दो दिन का समय दिया था. उसके बाद तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी थी. यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अब उनलोगों को अपना कियोस्क लगाने के लिए कोई दूसरा जगह आवंटित किया जाए. क्योंकि उनके पास 31 मार्च 2026 तक वैध  तहबाजारी आवंटित है.

एनसीआरटीसी की ओर से पेश वकील ने आरआरटीसी परियोजना के सार्वजनिक महत्व पर जोर दिया और कहा कि आगे की पुनर्विकास प्रक्रिया शुरू करने के लिए याचिकाकर्ताओं के खोखे को तोड़ना जरूरी है. निगम के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए यह भी कहा कि तहबाजारी अपने आप में अस्थायी प्रकृति का है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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