Bharat Express

क्या कार में लगातार बैठने से हो सकता है Cancer का खतरा? नए अध्ययन में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

मॉडल ईयर 2015 से 2022 के बीच 101 इलेक्ट्रिक, गैस और हाइब्रिड कारों की केबिन एयर क्वालिटी का अध्ययन किया गया. इससे पता चला कि इन कार केबिन की हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक है.

(प्रतीकात्मक फोटो)

Car and Cancer causing Chemicals: कारों से हमारे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर के संबंध में किए गए एक नए अध्ययन में कुछ चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं, जिन्होंने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. इसमें चेतावनी दी गई है कि लोग अपनी कारों में रहते हुए संभावित रूप से कैंसर पैदा करने वाले रसायनों में सांस ले रहे हैं. विज्ञान पत्रिका Environmental Science & Technology में बीते 7 मई को प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि अधिकांश कारों में कुछ रसायन (Flame Retardant – वह पदार्थ जो आग को फैलने से रोकता) होते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं.

मॉडल ईयर 2015 से 2022 के बीच 101 इलेक्ट्रिक, गैस और हाइब्रिड कारों की केबिन एयर क्वालिटी का अध्ययन किया गया. इससे पता चला कि इन कार केबिन की हवा की गुणवत्ता बेहद खतरनाक है. अध्ययन के निष्कर्ष इसमें कैंसर पैदा करने वाले रसायनों की उपस्थिति का संकेत देते हैं.

शोधकर्ताओं ने पाया कि 99% कारों में TCIPP नामक फ्लेम रिटार्डेंट होता है, जिसकी वर्तमान में यूएस नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम द्वारा संभावित कैंसर कारक के रूप में जांच की जा रही है. इसके अलावा कारों में दो और फ्लेम रिटार्डेंट होते हैं – TDCIPP और TCEP – जो कैंसरकारी होते हैं.

Flame Retardant क्या हैं

फ्लेम रिटार्डेंट एक रसायन या पदार्थ है, जिसे सामग्रियों में उनकी ज्वलनशीलता को कम करने और आग को फैलने से रोकने के लिए मिलाया जाता है. कारों में आग से सुरक्षा को बढ़ाने के लिए आमतौर पर कार की सीट, कालीन, इन्सुलेशन और इलेक्ट्रॉनिक घटकों में फ्लेम रिटार्डेंट का उपयोग किया जाता है.

इन सामग्रियों को सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए कठोर परीक्षण से गुजरना पड़ता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे संभावित आग की घटनाओं के दौरान गर्मी और आग का सामना कर सकें. फ्लेम रिटार्डेंट या तो आग को दबा देते हैं या फिर आग लगने की गति को कम करने में मदद करते हैं, जिससे कार में आग लगने की स्थिति में लोगों को सुरक्षित रूप से बाहर निकलने के लिए समय मिल जाता है और चोटों और मौत का खतरा कम हो जाता है.

शोधकर्ता ने क्या कहा

अध्ययन की मुख्य लेखक रेबेका होहेन ने कहा, ‘हमारे शोध में पाया गया कि इं​टीरियर मटेरियल, कार के केबिन की हवा में हानिकारक रसायन छोड़ती है. यह ध्यान में रखते हुए कि औसत ड्राइवर हर दिन कार में लगभग एक घंटा बिताता है, यह एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दा है. यह विशेष रूप से लंबी यात्रा करने वाले लोगों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी चिंता का विषय है, जो वयस्कों की तुलना में सांस के लिए अधिक हवा लेते हैं.’

अध्ययन के अनुसार, कार की सीट के फोम में कैंसर पैदा करने वाले यौगिक पाए गए हैं. इसके अलावा गर्मी के दिनों में तपन के कारण कार के मटेरियल अधिक जहरीली हवा छोड़ते हैं. ड्यूक यूनिवर्सिटी और ग्रीन साइंस पॉलिसी इंस्टिट्यूट के शोधकर्ताओं ने पाया कि सर्दियों की तुलना में गर्मियों में कार केबिन में फ्लेम रिटार्डेंट का स्तर दो से पांच गुना अधिक था.

अध्ययन में कार चलाने वालों को ‘अपनी कार के केबिन के तापमान को नियंत्रित करके’, उसकी हवा में फ्लेम रिटार्डेंट की मौजूदगी को कम करने की सलाह दी गई है. इसके अलावा धूप के बजाय गैरेज या शेड में गाड़ी पार्क करने से केबिन का तापमान कम हो सकता है और फ्लेम रिटार्डेंट की सीमा सीमित हो सकती है.

-भारत एक्सप्रेस



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read