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अगर आप भी रातभर कानों में लगाए रहते हैं Earbuds तो हो जाएं सावधान, सामने आई WHO की डरा देने वाली रिपोर्ट

Earbuds Side Effects: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2050 तक चार में से एक व्यक्ति की सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है. इन युवाओं की उम्र भी 12 से 35 साल के बीच में होगी.

Earbuds Side Effects

Earbuds Side Effects: आज के समय में स्मार्टफोन और स्मार्टवॉच की तरह एयरपॉड्स (AirPods) भी ज्यादातर लोगों के लिए जरूर गैजेट बन गया है. आपने अक्सर देखते हैं मेट्रो, ट्रेन, पार्क या कहीं भी सार्वजनिक जगहों पर लोग कान में ईयरफोन लगाकर आसपास के माहौल से पूरी तरह बेखबर हो जाते हैं. वहीं कुछ लोगों की आदत होती है कि सोते समय भी ईयरबड्स या ईरफोन करते हैं. लेकिन जरा सोचिए कि आने वाले समय में अगर लोग सच में बहरे हो गए तो? यह सोचकर भले ही आपको डर लग रहा हो लेकिन यह सच होने जा रहा है.

2050 तक 100 करोड़ से ज्यादा युवा हो सकते हैं बहरे

दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2050 तक चार में से एक व्यक्ति की सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है. इन युवाओं की उम्र भी 12 से 35 साल के बीच में होगी. WHO की स्टडी में इसके कई कारण बताए गए हैं, जिनमें प्रमुख वजहों में से एक है इयरबड्स और इयरफोन का बढ़ता इस्तेमाल. स्टडी के मुताबिक लगभग 65% लोग इयरबड्स, इयरफोन या हेडफोन से म्यूजिक, पॉडकास्ट या कुछ भी और सुनते हुए वॉल्यूम 85 DB (डेसीबल) से अधिक रखते हैं, जो कान के इंटरनल हिस्से के लिए बेहद नुकसानदायक है.

जानें रिपोर्ट में क्या कहा

गाइडलाइंस के मुताबिक फिलहाल 12 से 35 साल के लगभग 50 करोड़ लोग विभिन्‍न कारणों से न सुन पाने या बहरेपन की समस्‍या से जूझ रहे हैं. इनमें से 25 फीसदी वे हैं जो अपने निजी डिवाइसों जैसे ईयरफोन, ईयरबड, हेडफोन पर ज्‍यादा तेज साउंड में लगातार कुछ न कुछ सुनते रहने के आदी हो चुके हैं. जबकि 50 फीसदी के आसपास वे हैं जो लंबे समय तक मनोरंजन की जगहों पर बजने वाले तेज म्‍यूजिक, क्‍लब, डिस्‍कोथेक, सिनेमा, फिटनेस क्‍लासेज, बार या अन्‍य सार्वजनिक जगहों पर बजने वाले तेज साउंड के संपर्क में रहते हैं. ऐसे में तेज आवाज सुनने का शौक या ईयर डिवाइसें ज्‍यादा इस्‍तेमाल करने का शौक आपको बहरा बना सकता है. तो आज ही हो जाएं सावधान!

हेडफोन या ईयरफोन के ज्यादा इस्तेमाल के साइड इफेक्ट्स

कान में वैक्स जमना

कानों में मौजूद वैक्स कानों को बाहरी गंदगी से बचाता है. लेकिन ईयरबड्स का ज्यादा इस्तेमाल इसे जमा देते हैं. कान में वैक्स के जम जाने के कारण सुखापन और खुजली की समस्या होती है. कई मामलों में लोगों को घंटी के जैसी आवाज सुनाई देने लगती हैं.

बीप की आवाज आना

घंटों तक ईयरबड्स का इस्तेमाल करने से कानों में ब्लड फ्लो भी प्रभावित होता है. ऐसे में कई बार कान के अंदर लंबी बीप की आवाज सुनाई देनी लगती है. अगर आप ईयरबड्स का इस्तेमाल कर रहे हैं तो बीच-बीच में कानों को आराम दें. इन्हें लगाकर सोने की गलती भूलकर भी न करें.

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बहरापन का नहीं है कोई इलाज

डॉक्टर का कहना है कि जो सबसे खराब चीज है, वह ये है कि डिवाइसों के इस्‍तेमाल से आया हुआ बहरापन कभी ठीक नहीं होता है. लगातार और लंबे समय तक तेज साउंड में रहने के चलते हाई फ्रीक्‍वेंसी की नर्व डैमेज हो जाती है. वह रिवर्सिबल नहीं होती. न उसकी कोई सर्जरी नहीं होती है और न ही कोई मेडिसिन होती है कि उससे नर्व को ठीक कर लिया जाए. इसलिए प्रिवेंशन ही बहरेपन से बचने का एक इलाज है.

कितना वॉल्‍यूम होता है सेफ?

डॉक्टर का कहना है कि डिवाइसों में आने वाला वॉल्‍यूम भी काफी ज्‍यादा होता है. सबसे सुरक्षित वॉल्‍यूम कानों के लिए 20 से 30 डेसीबल है. यह वह वॉल्‍यूम है जिसमें आमतौर पर दो लोग बैठकर शांति से बात करते हैं. लगातार इससे ज्‍यादा आवाज के संपर्क में रहने से कानों की सेंसरी सेल्‍स को नुकसान होने लगता है.

-भारत एक्सप्रेस 

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