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Vegan Diet: क्या सच में ऐसा हो सकता है कि बायोलॉजिकल उम्र पर ब्रेक लग जाए और हम सब हमेशा के लिए युवा दिखते रहें? फिलहाल इस सम्बंध में एक अध्ययन में दावा किया गया है. इस अध्ययन में कहा गया है कि अगर कोई 8 हफ्तों तक वीगन डाइट (Vegan Diet) का सेवन कर ले तो उसकी बढ़ती उम्र पर ब्रेक लग सकता है.
वैज्ञानिकों ने ताजा अध्ययन में पाया है कि इससे हार्ट, किडनी, लिवर, हार्मोन की बायोलॉजिकल उम्र कम हो सकती है. अगर इस मामले को मोटा-मोटा समझा जाए तो ये है कि अगर आपकी उम्र 50 साल है तो आपके अंग 30 साल की उम्र वाले युवा की तरह काम करेंगे.
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स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलीफोर्निया के रिसर्चर ने अपने अध्ययन में 8 हफ्ते तक लोगों को सिर्फ प्लांट बेस्ड फूड्स दिया, जिसमें पाया गया कि इन लोगों में हार्ट, लिवर, हार्मोन, इंफ्लामेटरी और मेटाबोलिक सिस्टम की उम्र घट गई.
जानें क्यों कम होती है वीगन डाइट से बायोलॉजिकल उम्र?
अध्ययन में ये पाया गया है कि बायोलॉजिकल उम्र में कमी DNA मिथाइलेशन लेवल पर थी. इसका अर्थ होता है कि डीएनए में केमिकल मोडिफिकेशन से है. इसी से उम्र का पता लगाया जाता है. यह केमिकल जितना घना होगा, उम्र उतनी ही कम होगी.
फिलहाल यहां बता दें कि बायोलॉजिकल उम्र क्या होत है? दरअसल जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती जाती है, उसके शरीर की कोशिकाएं, टिशू जैसे अंगों की क्षमता तेजी से घटने लगती है और वे धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं. तो वहीं अध्ययन में पाया गया है कि वीगन डाइट के सेवन से बायोलॉजिकल उम्र कम होने पर सभी महत्वपूर्ण अंग की कार्यक्षमता बनी रहती है. उम्र भले ही बढ़ती जाए लेकिन अंगों की उम्र नहीं बढ़ती है और वे सुचारू रूप से काम करते रहते हैं.
वजन भी होता है कम
इस अध्ययन में ये भी पाया गया है कि वीगन डाइट से वजन भी कम होता है. चार हफ्ते तक इन लोगों को हर दिन 200 कैलोरी कम करके डाइट दी गई थी. शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि वजन कम होने में फूड के बजाय बायोलॉजिकल उम्र में अंतर का अधिक योगदान हो सकता है. BMC मेडिसीन में पब्लिश इस स्टडी में 39 एक तरह के जुड़वां लोगों को शामिल किया गया था. इनमें आधे लोगों को 8 हफ्ते तक वीगन डाइट दी गई, जबकि आधे लोगों को नॉनवेज खिलाया गया था.
जानें क्या होती है वीगन डाइट?
एक्सपर्ट की मानें तो वीगन डाइट प्लांट बेस्ड डाइट होती है. इस डाइट में किसी तरह का एनिमिल फूड यानी मांस, मछली, दूध-दही जैसी चीजें नहीं होती हैं. बल्कि यह फसल या पेड़-पौधे से मिले फूड्स होते हैं. यानी इसमें कच्ची सब्जी व अनाज के साथ ही फल शामिल होते हैं. बता दें कि यहां पर दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले अपने विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें.
-भारत एक्सप्रेस
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