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जो कभी अपने बच्चे को नहीं करा सकीं थीं स्तनपान… फिर भरे हजारों नवजात बच्चों के पेट; जानें कौन हैं रक्षा जैन

रक्षा जैन का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो चुका है. इसी के साथ ही वह निस्वार्थ मातृ प्रेम और सामुदायिक सेवा की प्रतीक बन गई हैं.

Raksha Jain

Raksha Jain -फोटो-सोशल मीडिया

Rajasthan: राजस्थान के भीलवाड़ा में रहने वाली रक्षा जैन ने एक ऐसा कीर्तिमान स्थापित कर दिया है कि वह तमाम महिलाओं के नजीर बन गई हैं. उनके इस कार्य के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी उनका नाम दर्ज हो चुका है. दरअसल रक्षा ने बहुत से नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने का काम कर रही है. यानी वह एक-दो नहीं बल्कि हजारों बच्चों की मां हैं.

ये तो सभी जानते हैं कि जो नवजात बच्चे होते हैं उनको उनकी ही मां का दूध देने की सलाह चिकित्सक देते हैं लेकिन कई बार बहुत सी महिलाएं इस स्थिति में नहीं होती हैं कि वे अपनी नवजात शिशु को दूध पिला सकें. ऐसे में इन बच्चों के लिए रक्षा जैन अपने नाम के ही अनरूप बनकर सामने आई हैं और तमाम बच्चों के जीवन की रक्षा कर रही हैं. तो वहीं उनसे प्रेरणा पाकर तमाम महिलाएं और हैं जो दूध डोनेट करने के काम को आगे बढ़ा रही है. इस तरह से रक्षा का नाम भी पन्ना धाय और यशोदा जैरी ऐतिहासिक मातृ विभूतियों के साथ जुड़ गया है.

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दो नहीं हजारों बच्चों की मां

रक्षा पेशे से इलेक्ट्रोथेरेपिस्ट हैं और दो बच्चों की मां हैं. वह भीलवाड़ा और इसके आस-पास के जुड़े शहरों के हजारों बच्चों को जीवन दान दे रही हैं. दरअसल उनकी बाद उन्होंने जून 2018 से 2019 तक आंचल मदर मिल्क बैंक को 54 लीटर दूध दान किया. फिर अपनी दूसरी डिलीवरी के बाद, उन्होंने 15 फरवरी से 14 नवंबर, 2023 तक 106.81 लीटर दूध दान किया. इस तरह से इस कार्य में उनका कुल योगदान 160.81 लीटर का रहा. उनके इस कार्य से तमाम जरूरतमंद नवजात शिशुओं को 5,000 बार से अधिक बार उनका दूध पिलाया गया है.

इस तरह हुई शुरुआत

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 17 जून, 2018 को रक्षा ने बेटे का जन्म हुआ लेकिन तीन दिन तक उनको दूध नहीं आया. माना जाता है कि कई बार मेडिकल कारणों से ऐसी समस्या आ जाती है. ऐसे में उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल में आंचल मदर मिल्क बैंक की मदद लेनी पड़ी थी लेकिन फिर रक्षा के स्तनों में इतना दूध आने लगा कि उन्होंने इस दूध को बर्बाद करने के बजाय दान करने का फैसला लिया.

रोज जाती थीं बैंक

नवजात शिशुओं को रोज अपना दूध पिलाने के लिए रक्षा बैंक जाती थी और अनगिनत बच्चों के पेट भरती थीं. पहली डिलीवरी के दौरान, उन्होंने लगातार 25 दिनों तक दूध दान किया. रक्षा कहती हैं कि आप जीवन भर रक्तदान कर सकते हैं, लेकिन मां का दूध दान करना एक दुर्लभ अवसर है. रक्षा की कहानी मातृ प्रेम की शक्ति और निस्वार्थ कार्यों के प्रभाव का एक प्रमाण है. उनके इस कार्य में उनके पति पूरा साथ देते हैं. रक्षा ने इस काम का विस्तार करने के लिए विभिन्न सोसायटियों के साथ मिलकर लाइफ वेलफेयर सोसाइटी पिंक स्क्वाड का गठन किया है और उन्होंने 20 महिलाओं का एक संगठन स्थापित किया है, जो लोगों को नवजात शिशुओं को कुपोषण से बचाने में मदद करने के लिए लगातार काम कर रहा है.

जानें क्या है दूध दान देने की प्रक्रिया

भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल में आंचल मदर मिल्क बैंक उन स्वस्थ महिलाओं से दूध दान लेता है जिन्होंने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया हो और उनके स्तन से दूध अधिक आता हो. ऐसे में वे महिलाएं अगर अपना दूध किए अन्य बच्चे को दान करना चाहें तो इसके लिए एक फॉर्म भरते हैं और दूध को 150 मिलीलीटर ककी बोतलों में स्टोर करते हैं. इसके बाद दूध को पास्चुरीकृत किया जाता है और फिर परीक्षण के बाद उसे छह महीने तक फ्रीजर में सुरक्षित रूप से स्टोर किया जाता है. इस दौरान जरूरतमंद बच्चों को डॉक्टर की सलाह पर यह दूध दिया जाता है.

-भारत एक्सप्रेस

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