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शिवलिंग की आधी परिक्रमा के पीछे का रहस्य जानते हैं आप ? अर्धचंद्राकार परिक्रमा का ही मिलता है फल

नियम के अनुसार भगवान शिव की प्रतिमा की जहां पूरी परिक्रमा की जा सकती है वहीं शिवलिंग की परिक्रमा केवल आधी ही की जाती है.

शिवलिंग

हिंदू धर्म में भगवान और तीर्थस्थल की परिक्रमा करने का विशेष महत्व है. मंदिरों में लोग अपने आराध्य की उपासना करते समय उनकी परिक्रमा करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि परिक्रमा करने के भी कुछ नियम होते हैं. परिक्रमा का जो सबसे खास नियम है वह यह है कि परिक्रमा जिस देव या पवित्र स्थान की करने जा रहे हो वह हमेशा आपकी दांयी ओर होनी चाहिए. इसके अलावा अलग-अलग देवी देवताओं के अनुसार परिक्रमा के नियम हैं. हिंदू धर्म में परिक्रमा का विशेष महत्व है. वहीं भगवान शिव शंकर की परिक्रमा करने का नियम भी सबसे अलग है. नियम के अनुसार भगवान शिव की प्रतिमा की जहां पूरी परिक्रमा की जा सकती है वहीं शिवलिंग की परिक्रमा केवल आधी ही की जाती है. माना जाता है कि इन नियमों का उल्लंघन करने पर परिक्रमा का फल प्राप्त नहीं होता. आइए जानते हैं कि शिवलिंग की आधी परिक्रमा के पीछे का रहस्य.

शिवलिंग की परिक्रमा के नियम

शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा को अर्धचंद्राकार तरीके से ही करना सही माना गया है. अर्धचंद्राकार यानी गोल घूमते हुए आधी परिक्रमा करना. जहां एक तरफ शिवलिंग की अर्धचंद्राकार परिक्रमा की जाती है वहीं इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि परिक्रमा करते समय दिशा सही रहे. हिंदू धर्म ग्रंथों में बताए नियमों के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बायीं ओर से आरंभ करके जलधारी तक जाकर फिर वापस विपरीत दिशा में लौटकर दूसरी ओर से फिर से परिक्रमा पूरी करें. शिवलिंग की परिक्रमा कभी भी दायीं ओर से नहीं करनी चाहिए. वहीं शिवलिंग की परिक्रमा करते समय उसमें दिख रहे जलस्थान या जलधारी को लांघना भी बहुत अहितकारी माना जाता है.

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शिंवलिंग के इस राज को भी जान लें

शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा पुरूष तो निचले हिस्से को स्त्री का प्रतीक माना गया है. शिव लिंग को शिव और शक्ति दोनों की शक्ति का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में जल में इतनी ज्यादा ऊर्जा होती है कि यदि व्यक्ति इसे लांघें तो ये ऊर्जा लांघते समय उसके पैरों के बीच से उसके पूरे शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसकी वजह से व्यक्ति को वीर्य या रज संबन्धित शारीरिक दिक्कतों का सामना भी करना पड़ सकता है.माना जाता है कि शिवलिंग से निकलने वाली ऊर्जा का ताप बहुत ही तेज और ताकतवर होता है, जिसे शांत करने के लिए शिवलिंग के ऊपर एक कलश लगा होता है जिससे पानी की बूंदे शिवलिंग पर गिरती रहती हैं. इन्हीं वजहों को देखते हुए घर में शिवलिंग नहीं रखा जाता है.

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