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Guru Purnima 2024: इस दिन है गुरु पूर्णिमा, जानें सही डेट, पूजा के लिए शुभ समय और पूजन विधि

Guru Purnima 2024: आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर होगी.

Guru Purnima

गुरु पूर्णिमा 2024 (सांकेतिक तस्वीर)

Guru Purnima 2024 Date Puja Time Shubh Muhurat Pujan Vidhi: आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. परंपरा के अनुसार, इस दिन गुरु की पूजा होती है. इस दिन लोग अपने आध्यात्मिक और शैक्षणिक गुरु की पूजा-अर्चना करते हैं. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाती है. पौराणिक मान्यता है कि इस दिन महर्षि द्वैपायन वेदव्यास का जन्म हुआ था. इसलिए इस दिन उनकी जयंती मनाई जाती है. गुरु पूर्णिमा के दिन गौतम बुद्ध ने यूपी के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था. आइए गुरु पूर्णिमा की सही तारीख, पूजा के लिए शुभ समय और विधि जानते हैं.

गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कब है?

आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 5 बजकर 59 मिनट पर होगी. जबकि, पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 21 जुलाई को शाम 3 बजकर 46 मिनट पर होगी. ऐसे में उदया तिथि की मान्यतानुसार, गुरु पूर्णिमा रविवार 21 जुलाई को मनाई जाएगी.

गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा के लिए शुभ समय

पंचांग के अनुसार, इस साल गुरु पूर्णिमा पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं. इस बार गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थसिद्धि योग, प्रीति योग, रवि योग और विष्कुंभक योग बनेगा. इस दिन पूजा के लिए शुभ समय सुबह 7 बजकर 19 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है.

गुरु पूर्णिमा पर कैसे करें पूजन

गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान इत्यादि से निवृत होकर साफ कपड़ पहनें और सबसे पहले भगवान विष्णु और वेदों के रचयिता वेद व्यास का स्मरण करें, उन्हें प्रणाम करें. साथ ही साथ सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन भगवान विष्णु और गुरु महराज की पूजा का विधान है. ऐसे में धूप, दीप, अक्षत इत्यादि पूजन सामग्रियों से उनकी पूजा करें. अपनी क्षमता के अनुसार गुरु महाराज को दक्षिणा देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें. पूजन के दौरान ‘गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो महेश्वरः, गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः’ इस मंत्र का उच्चारण करें. पूजन के अंत में भगवान विष्णु समेत गुरु महाराज की आरती करें.

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