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Pradosh Vrat 2023: इस दिन है फरवरी का पहला प्रदोष व्रत? मां पार्वती की कृपा से होती है सभी सुखों की पूर्ति

Pradosh Vrat 2023: ज्योतिष के अनुसार इस दिन पूजा प्रदोष काल में की जाती है. माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में सभी तरह के सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.

Shiv-Ji

शंकर जी

Pradosh Vrat 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण में आने वाली त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस व्रत का एक विशेष महत्व है और इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती का भी पूजन होता है.

प्रदोष तिथि पर रखे जाने वाले व्रत को प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार इस बार प्रदोष व्रत 2 फरवरी को पड़ रहा है. इस दिन गुरु बृहस्पति का दिन गुरुवार है. इसलिए इस प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष कहा जाता है. इए जानते हैं इस दिन के शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि.

त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती की व्रत रखकर पूजा- अर्चना करने का विधान है. ज्योतिष के अनुसार इस दिन पूजा प्रदोष काल में की जाती है. माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में सभी तरह के सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इसके अलावा मां पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.

गुरु प्रदोष व्रत तिथि

वैदिक पंचांग के मुताबिक माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि इस बार 02 फरवरी 2023 को पड़ रही है. गुरु प्रदोष व्रत का आरंभ भी इसी दिन 02 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से होगा और इसका समापन 03 फरवरी शाम 06 बजकर 58 मिनट पर होगा. इस दौरान व्रत रखा जाएगा.

गुरु प्रदोष पर जानें शुभ मुहूर्त

गुरु प्रदोष व्रत के लिए पूजा करने का शुभ समय देखा जाएतो यह शाम 06 बजकर 02 मिनट से आरंभ होगा और रात 08 बजकर 37 मिनट तक रहेगा. इस काल में पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंंटे से ज्यादा रहेगा. जिसमे पूरे भक्ति भाव से पूजा की जा सकेगी.

गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि

गुरु प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद शिव जी के सामने दीपक प्रज्वलित कर प्रदोष व्रत का संकल्प लें. संध्या समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें. गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें. फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग, आदि अर्पित करें. फिर विधिपूर्वक पूजन करें.

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प्रदोष व्रत का महत्व

मान्यता है कि गुरु प्रदोष व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस व्रत के पुण्य प्रभाव से नि:संतान लोगों को पुत्र भी प्राप्त होता है. भगवान शिव शंकर की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि से जीवन परिपूर्ण रहता है.



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