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Jaya Ekadashi 2023: जया एकादशी पर पूरी होगी मनोकामना, बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग, जानें मुहूर्त और पूजा विधि

Jaya Ekadashi 2023: भगवान विष्णु की कृपा से इस एकादशी का व्रत रखने वाले की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और घर में सुख शांति बनी रहती है.

Bhagwan vishnu

भगवान विष्णु

Jaya Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी के दिन का विशेष महत्व है. ऐसे में धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माघ माह के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को पूजा पाठ के लिए काफी खास माना जाता है. इस पुण्यदायी एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है.

जया एकादशी के व्रत से व्यक्ति के परिवार में सुख शांति बनी रहती है. इस दिन भगवान विष्णु की कथा सुनने से घर परिवार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. वहीं भगवान विष्णु की कृपा से सभी तरह के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए पूरे श्रद्धानुसार व्रत रखने का विधान है. भगवान विष्णु की कृपा से इस एकादशी का व्रत रखने वाले की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है.

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जया एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त 

वैदिक पंचांग के अनुसार इस माह (जनवरी) में  31 तारीख को जया एकादशी का आरंभ रात में 11 बजकर 52 मिनट पर होगा और अगले दिन 01 फरवरी 2023 को दोपहर में 02 बजकर 02 मिनट पर इसका समापन होगा.  31 जनवरी को रात होने के कारण उदयादिथि को आधार मानते हुए जया एकादशी 1 फरवरी हो ही मनाई जाएगी. इस दिन इसका शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजे से 9 बजे तक रहेगा. वहीं व्रत का पारण अगले दिन 2 फरवरी की सुबह किया जाएगा.

सर्वार्थ सिद्धि योग में पूरी होगी मनोकामना

ज्योतिष के जानकारों के अनुसार जया एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. इस योग का आरंभ 1 फरवरी सुबह 07 बजकर 11 मिनट से शुरू होते हुए 2 फरवरी को सुबह 03 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. ज्योतिष के अनुसार यह योग बेहद ही शुभ है. माना जाता है कि इस योग में किया गया कोई भी कार्य या मनोकामना सिद्ध हो जाता है.

इस विधि से करें जया एकादशी के दिन पूजा

जया एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन की पूजा के लिए घर के मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें. भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति पर गंगाजल छिड़कते हुए पीले रंग का पुष्प चढ़ाएं और दीप धूप से उनकी आरती करें.

एकादशी के दिन भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है. एकादशी के अगले दिन सुबह उठते हुए भगवान विष्णु को भोग लगाए और ब्राम्हणों को भोजन कराने के बाद व्रत का पारण करें.



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