शिव जी
Mahashivratri 2023: हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार चतुर्दशी तिथि भगवान शिव की आराधना और पूजा के लिए समर्पित है. शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव सबसे पहले महाशिवरात्रि तिथि पर ही शिवलिंग के रूप में सामने आए थे. इसी मान्यता के चलते हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करते हुए महाशिवरात्रि मनाई जाती है.
भगवान शिव होते हैं बेवपत्र से प्रसन्न
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त नाना प्रकार के जतन करते हैं. इसके लिए उन्हें इस दिन भगवान भोले को प्रिय कई चीज अर्पित करते हैं. वैसे तो शिव जी की पूजा में बेल पत्र कभी भी चढ़ाया जा सकता है, लेकिन सोमवार और महाशिवरात्रि जैसे पावन दिन पर इसकी महत्ता काफी अधिक रहती है.
शिव जी की पूजा में बेलपत्र चढ़ाना बेहद ही शुभ माना जाता है. मान्यता है बेलपत्र चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं बेलपत्र से जुड़े कुछ नियम भी होते हैं.
बेल पत्र के इन नियमों को जानना है जरूरी
बेलपत्र तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी कटे-फटे और मुरझाये हुए बेलपत्र नहीं तोड़ें. शिवलिंग पर कभी भी इस तरह का बेल पत्र नहीं अर्पित नहीं करना चाहिए. उत्तम फल प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र अर्पित करना चाहिए.
बेलपत्र की संख्या रखती है खास मायने
शिवलिंग पर चढ़ाने में बेलपत्र की संख्या खास मायने रखती है. शिवलिंग 11 या 21 की संख्या में बेलपत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है. वहीं अगर इनकी संख्या इतनी न हो पाए तो श्रद्धा भाव से 1 बेलपत्र भी अर्पित किया जा सकता है.
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इन दिनों बेलपत्र तोड़ने से बचें
बेलपत्र के पत्तों को कुछ चुनिंदा दिनों में तोड़ना ठीक नहीं माना जाता है. इनमें चतुर्थी, अष्टमी, नवमी तिथियों, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि, अमावस्या और सोमवार के दिन इन्हें तोड़ना वर्जित माना जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से भोलेनाथ नाराज हो सकते हैं. बेलपत्र को तोड़ने से पहले भगवान भोलेनाथ को याद करना चाहिए. उसके बाद ही बेल पत्र तोड़ना चाहिए.
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