शिव-पार्वती.
Mangla Gauri Vrat 2024: आज सावन का पहला मंगल गौरी व्रत रखा जा रहा है. धार्मिक परंपरा के अनुसार, सावन मास के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखने का विधान है. जिस प्रकार सावन-सोमवार पर भगवान शिव की पूजा से मनोकामना पूरी होती है, उसी तरह सावन के मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखने से अखंड सौभाग्य प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है. इस दिन महिलाएं अपने पति के उत्तम स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर मां गौरी की पूजा-अर्चना करती हैं. इसके अलावा यह व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं. इस व्रत के शुभ प्रभाव से कुंवारी लड़कियों को सुयोग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है, ऐसी मान्यता है.
ऐसे करें मंगला गौरी व्रत-पूजन | Mangla Gauri Vrat Pujan Vidhi
सुबह नित्यकर्म से निवृत होकर स्नान करें. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनकर मंगला गौरी व्रत का संकल्प लें. इतना करने के बाद पूजा स्थान पर माता पार्वती (गौरी) का चित्र लगाएं. इसके बाद ‘मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये’ इस मंत्र को बोलकर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद विधि-विधान से मां पार्वती की पूजा करें. पूजन के अंत में आरती करें. सुहागिन महिलाओं और कुंवारी लड़कियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए व्रत में एक ही समय भोजन ग्रहण किया जाता है.
पंचांग के अनुसार, मंगला गौरी व्रत पर आज द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है. इस शुभ योग की वजह से मंगला गौरी व्रत और भी खास हो गया है. बता दें कि द्विपुष्कर योग आज सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक रहने वाला है. जबकि, विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से 3 बजकर 39 मिनट तक रहने वाला है. ऐसे में इन शुभ मुहू्र्त में मंगला गौरी व्रत का पूजन किया जा सकता है.
मंगल गौरी व्रत मंत्र | Mangla Gauri Vrat Mantra
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वर्थ साधिके
शरण्ये त्रयंबकं गौरी नारायणी नमोस्तुते
कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे
भबं भवानीसहितं नमामि
ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा
मंगला गौरी आरती | Mangla Gauri Vrat Aarti
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
ब्रह्मा सनातन देवी शुभ फल दाता
जय मंगला गौरी…
अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता
जय मंगला गौरी…
सिंह को वाहन साजे कुंडल है
साथा देव वधु जहं गावत नृत्य करता था
जय मंगला गौरी…
सतयुग शील सुसुन्दर नाम सटी कहलाता
हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता
जय मंगला गौरी…
शुम्भ निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाता। जय मंगला गौरी…
सृष्टी रूप तुही जननी शिव संग रंगराताए
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मद माता
जय मंगला गौरी…
देवन अरज करत हम चित को लाता
गावत दे दे ताली मन में रंगराता
जय मंगला गौरी…
मंगला गौरी माता की आरती जो कोई गाता
सदा सुख संपति पाता
जय मंगला गौरी माता, जय मंगला गौरी माता
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