Kanya Pujan, Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म में प्रत्येक नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन की खास परंपरा रही है. शास्त्रों के नियमानुसार कन्या पूजन में कम से कम 9 कन्याओं की पूजा करते हुए उनको बिना लहसुन और प्याज के सात्विक भोजन कराना चाहिए. ऐसे में उन्हें तरह-तरह के पकवान खिला सकते हैं. वहीं उनकी विदाई के समय कोई न कोई उपहार भी दे सकते हैं. लेकिन आजकल एकल परिवार के चलते अगर ऐसा न हो तो आप 5 या फिर 7 कन्याओं को माता का रूप मानकर कन्या पूजन कर सकते हैं. कहा जाता है कि इससे माना रानी की कृपा बनी रहती है.
प्राचीन काल से ही राजा महाराजा कन्या पूजन करते चले आ रहे हैं. यहां तक की संत और महात्मा भी कन्या पूजन के महत्व को बताते हैं. हलांकि इसके लिए कुछ नियम ऐसे भी हैं, जिनका कन्या पूजन के दौरान पालन करना आवश्यक है. कहा जाता है कि इन नियमों का पालन न करने पर मां रुष्ट भी हो जाती हैं. 9 दिनों तक रखा जाने वाला व्रत भी कन्या पूजन के बाद पूरा माना जाता है. आइए जानते हैं इनके बारे में.
जब घर में करना हो कन्या पूजन
जब कभी भी आप अपने घर में कन्या पूजन कराने जा रहे हों तो इस बात का ध्यान रखें कि भोजन कराने से पहले उनके पांव एक बड़े से थाल में रखते हुए अपने हाथ से धोएं. इसके बाद हल्दी, कुमकुम और चावल को मिलाते हुए उनका टीका करें. उनको बैठाने के लिए आप द्वारा लगाया जाने वाला आसन ऐसा हो कि उसकी दिशा पूर्व की ओर रहे. इसके बाद कन्याओं को प्रेम पूर्वक भोजन कराएं. इसके लिए आपको पूड़ी, सब्जी, खीर और हलवे के अलावा काले चने को उबाल कर रख लेना चाहिए. भोजन परोसने के बाद सप्रेम उनके हर घटने बढ़ने वाली वस्तु का ध्यान रखें. किसी को भी भूख से अधिक खिलाने का प्रयास न करें.
कन्याओं को दें यह उपहार
जब कन्याएं भोजन कर लें तो एक बार फिर उनके पैर धोएं. इसके बाद उन्हें उपहार के रूप में कुछ वस्तुएं भेंट करें. आप चाहें तो फल, कुछ रुपये जिनमें एक सिक्का जरूर हो के अलावा मां का प्रिय लाल रंग का चुनरी, मिठाई या फिर उनके उपयोग का कोई बर्तन दे सकते हैं. बाकि कई चीजें सामर्थ्य अनुसार हैं. इसके अलावा विदाई के समय एक-एक कर सभी कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें घर तक विदा करें.
सावधानियां जो जरूरी हैं कन्या पूजन में
2 से 10 वर्ष की कन्याओं को कन्या पूजन के लिए बुलाना चाहिए. भोजन से लेकर पूजन तक कन्याओं के साथ बहुत ही सहजता और खुशहाल तरीके से पेश आएं. भोजन की शुद्धता और ताजगी का ख्याल रखें. अगर आप 9 कन्याओं को बुला रहे हैं तो साथ में एक बालक को भी कन्या पूजन में अवश्य बुलाएं. बालकों को इस दिन भैरव का रूप माना जाता है.