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Annapurna Jayanti 2023: इस दिन मां अन्नपूर्णा जयंती, शुभ मूहूर्त में पूजा करने से नहीं होगी अन्न की कमी, जानें इस दिन की कथा

Annapurna Jayanti 2023: मां अन्नपूर्णा की कृपा होने पर घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं रहती है. धरती पर मां अन्नपूर्णा के अवतरण की कथा मानव कल्याण से जुड़ी है.

Annapurna jayanti

अन्नपूर्णा जयंती

Annapurna Jayanti 2023: हिंदू धर्म में 26 दिसंबर को मनाई जाने वाली अन्नपूर्णा जयंती बेहद ही खास है. मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा की कृपा होने पर घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं रहती है. धरती पर मां अन्नपूर्णा के अवतरण की कथा मानव कल्याण से जुड़ी है. माना जाता है कि इसे सुनने और पढ़ने वाले को भी मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद मिलता है. आइए जानते हैे क्या है इस दिन की कथा.

भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा से मांगी थी भिक्षा

धार्मिक ग्रंथों में जो कथाएं मिलती हैं, उनके अनुसार धरती पर एक समय ऐसा आया जब अनाज और पानी की कमी होने लगी. अन्न के अकाल से पशु-पछी भी बेहाल हो गए. मनुष्यों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई. चारो तरफ भूख से बेहाल लोग ईश्वर से प्रार्थना करने लगे.

अचानक आई इस आपदा से छुटकारा पाने के लिए पृथ्वी लोक पर तीनों देवों की आराधना की जाने लगी. धरती पर आई इस मुसीबत से मनुष्यों को निकालने के लिए भगवान शिव और आदिशक्ति मां पार्वती दोनों पृथ्वी लोक पर प्रकट हुए. माता पार्वती ने जीवों पर दया करते हुए स्वयं अन्नपूर्णा का रूप धारण किया.

भगवान शिव ने भिक्षु का रूप धारण करते हुए माता अन्नपूर्णा से अन्न को भिक्षा के रूप में ग्रहण किया. उस भिक्षा को धरती पर लाकर इंसानों में वितरित कर दिया. माना जाता है कि यही अन्न कृषि कार्यों में उपयोग किया गया और धरती पर अन्न की समस्या खत्म हो गई.

इसके बाद मां अन्नपूर्णा की कृपा से धरती पर कभी अनाज और पानी की कमी नहीं हुई. लोगों ने माता अन्नपूर्णा को अन्न की देवी मानते हुए उनकी उपासना शुरु कर दी. तब से जो कोई भी माता की पूरे मन से पूजा करता है, उसके घर के अन्न के भंडार भरे रहते हैं. माता पार्वती के अन्नपूर्णा रुप में आने वाला दिन मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा थी. जिस कारण हर साल इस पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है.

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साल 2023 में पूर्णिमा 26 दिसंबर से आरंभ हो रही है जो कि इस दिन सुबह 5:46 से शुरू हो जाएगी, वहीं इसका समापन 27 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर होगा.

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