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आध्यात्मिक यात्रा पर PM Modi सबसे पहले करेंगे ‘अम्मान मंदिर’ में दर्शन, 3000 हजार साल पुराने इस मंदिर की ऐसी है महिमा

Amman Temple Kanyakumari: तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित अम्मान देवी का मंदिर भगवती के कन्यारूप ‘कन्याकुमारी’ के नाम पर पड़ा. समुद्र के किनारे स्थित यह मंदिर भगवती अम्मान के नाम से जाना जाता है.

Amman Temple Kanyakumari

अम्मान मंदिर, कन्याकुमारी.

PM Visit Amman Temple Kanyakumari: प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा चुनाव से सातवें और अंतिम चरण का चुनावी शोर खत्म होने के बाद आध्यात्मिक यात्रा पर कन्याकुमारी जाएंगे. जानकारी रहे कि 7वें चरण का चुनाव प्रचार 30 मई 2024 की शाम 5 बजे खत्म हो जाएगा. इसके बाद पीएम मोदी तमिलनाडु के कन्याकुमारी जाएंगे जहां वे सबसे पहले अम्मान मंदिर में भगवती के दर्शन करेंगे फिर विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान करेंगे. पीएम मोदी अपनी इस आध्यात्मिक यात्रा में सबसे पहले देवी अम्मान के दर्शन करेंगे. 3000 हजार साल पुराने इस मंदिर की महिमा जानिए.

3000 साल पुराना है अम्मान मंदिर

तमिलनाडु के कन्याकुमारी में स्थित अम्मान देवी का मंदिर भगवती के कन्यारूप ‘कन्याकुमारी’ के नाम पर पड़ा. समुद्र के किनारे स्थित यह मंदिर भगवती अम्मान के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर को देवी कुमारी के अन्य नाम से भी जाना जाता है. माता का यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. देवी का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवती की सीढ़ की हड्डी गिरी थी. कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना परशुराम के कहने पर भगवान विश्वकर्मा ने की थी. इस मंदिर की स्थापत्य कला 3000 साल पुराना है.

अम्मन मंदिर का धार्मिक और पौराणिक महत्व

अम्मान मंदिर दुनिया के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है. कहा जाता है कि यह मंदिर कुमारी माता का निवास स्थान है. पुराणों में कुमारी देवी को मां पार्वती का अवतार माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां पार्वती ने बाणासुर नाम के राक्षस को मारने के लिए देवी रूप में अवतार लिया था. कहते हैं कि भगवान शिव ने बाणासुर को यह वरदान दिया था कि उसकी मृत्यु सिर्फ कुमारी कन्या के हाथों होगी.

अम्मन देवी का मुख्य आकर्षण

कन्याकुमारी के अम्मन देवी का मुख्य आकर्षण देवी के नाक का आभूषण है. इस आभूषण से जुड़ी एक पौराणिक कथा के मुताबिक, माता की मूर्ति के नाम पर लगा हीरा किंग कोबरा से प्राप्त किया गया था. प्रचलित कथा के अनुसार, नाक के आभूषण (हीरा) से परावर्तित होने वाली चमक इतनी तेज थी कि एक बार एक नाविक ने लाइटहाउस समझ लिया. जिसके परिणामस्वरूप उसका जहाज चट्टानों से टकरा गया. जिसके बाद मंदिर का पूर्वी प्रवेश द्वार बंद रखा जाता है. हालांकि, यह प्रवेश द्वार साल में सिर्फ 5 बार खास अवसरों पर खोला जाता है.

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