Bharat Express DD Free Dish

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को प्रदान किया 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार

Jagadguru Swami Rambhadracharya Maharaj: आज नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन एक अत्यंत गौरवपूर्ण क्षण का साक्षी बना, जब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य को 58वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया.

ज्ञानपीठ पुरस्कार
Vijay Ram Edited by Vijay Ram

58th Jnanpith Award: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में संस्कृत के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया.

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य को हार्दिक बधाई दी. उन्होंने प्रसिद्ध साहित्यकार गुलज़ार को भी ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए बधाई दी, जो कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हो सके. राष्ट्रपति ने कामना की कि गुलज़ार जी शीघ्र स्वस्थ होकर पुनः सक्रिय हों और कला, साहित्य, समाज व राष्ट्र के लिए अपना योगदान जारी रखें.

‘साहित्य समाज को जोड़ता है, जागरुकता लाता है’

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि साहित्य समाज को जोड़ता है और उसमें जागरुकता लाता है. 19वीं सदी के सामाजिक जागरण से लेकर 20वीं सदी के स्वतंत्रता संग्राम तक, कवियों और लेखकों ने लोगों को जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

‘हमें 150 वर्षों से जाग्रत करता आ रहा ‘वंदे मातरम्’

उन्होंने कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित गीत ‘वंदे मातरम्’ लगभग 150 वर्षों से भारत मां की संतानों को जाग्रत करता आ रहा है और सदैव करता रहेगा. वाल्मीकि, व्यास और कालिदास से लेकर रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कालजयी कवियों के साहित्य में हमें जीवंत भारत की धड़कन अनुभव होती है. यही धड़कन भारतीयता की आवाज है.

राष्ट्रपति ने भारतीय ज्ञानपीठ ट्रस्ट की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था 1965 से विभिन्न भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करती आ रही है. इस प्रक्रिया में चयनकर्ताओं ने देश के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकारों का चयन कर इस पुरस्कार की गरिमा को बनाए रखा है.

राष्ट्रपति ने किया महिला साहित्यकारों का उल्लेख

महिला साहित्यकारों का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आशापूर्णा देवी, अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, क़ुर्रतुल ऐन हैदर, महाश्वेता देवी, इंदिरा गोस्वामी, कृष्णा सोबती और प्रतिभा राय जैसी ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता महिलाओं ने भारतीय परंपरा और समाज को विशेष संवेदनशीलता के साथ देखा और अनुभव किया है तथा हमारे साहित्य को समृद्ध किया है.

उन्होंने कहा कि हमारी बहनों और बेटियों को इन महान लेखिकाओं से प्रेरणा लेकर साहित्य सृजन में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए और हमारे सामाजिक चिंतन को और अधिक संवेदनशील बनाना चाहिए.

जगद्गुरु उत्कृष्टता का प्रेरणादायक उदाहरण

जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने उत्कृष्टता का प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया है. उन्होंने कहा कि शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के बावजूद, जगद्गुरु ने अपने दिव्य दृष्टिकोण से साहित्य और समाज की सेवा में असाधारण योगदान दिया है.

राष्ट्रपति ने कहा कि रामभद्राचार्य ने साहित्य और सामाजिक सेवा दोनों क्षेत्रों में अद्वितीय कार्य किया है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि उनके गौरवशाली जीवन से प्रेरणा लेकर आने वाली पीढ़ियां साहित्य सृजन, समाज और राष्ट्र निर्माण की दिशा में आगे बढ़ती रहेंगी.



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read