रमजान 2024.
Ramadan 2024 Date Time: रमजान का पाक महीना आज 12 मार्च से शुरू हो गया है. इस्लामिक कैलेंडर में यह 9वां महीना होता है जो कि मुस्लिम धर्म को मानने वालों के लिए बेहद खास है. इस्लाम में 5 चीजों को खास महत्व दिया गया है. नमाज, जकात, तौहीद, हज और रोजा का पालन करना प्रत्येक मुसलमान के लिए जरूरी बताया गया है. इस साल रमजान का महीना कब से कब तक है, शहरवार सहरी का समय क्या है, इफ्तार कब से शुरू होगा और सहरी-इफ्तार का क्या मतबल है? जानिए.
रमजान 2024, शहरवार सहरी और इफ्तार का समय
नई दिल्ली
सहरी सुबह 5:18 बजे
इफ्तारी शाम 6:29 बजे
नोएडा
सहरी सुबह- 5:17 बजे
इफ्तारी शाम 6:28 बजे
कानपुर
सहरी सुबह 5:06
इफ्तार शाम 6:17
चेन्नई
सेहरी सुबह 5:09 बजे
इफ्तार शाम 6:19 बजे
हैदराबाद
सेहरी- सुबह 5:16 बजे
इफ्तार- शाम 6:28 बजे
बेंगलुरु
सहरी सुबह 5:19 बजे
इफ्तार शाम 6:34 बजे
अहमदाबाद
सहरी सुबह 5:38 बजे
इफ्तार शाम 6:48 बजे
कोलकाता
सहरी सुबह 4:35 बजे
इफ्तार शाम 5:44 बजे
लखनऊ
सहरी सुबह 5:04 बजे
इफ्तार शाम 6:14 बजे
जम्मू-कश्मीर
सहरी सुबह 5:25 बजे
इफ्तार शाम 6:38 बजे
पटियाला
सहरी सुबह 5:20 बजे
इफ्तार शाम 6:32 बजे
पटना
सहरी सुबह 4:47 बजे
इफ्तारी शाम 5:57 बजे
इंदौर
सहरी सुबह 5:25 बजे
इफ्तारी शाम 6:37 बजे
जयपुर
सहरी सुबह 5:24 बजे
इफ्तारी शाम 6:36 बजे
लुधियाना
सहरी सुबह 5:22 बजे
इफ्तारी शाम 6:34 बजे
गुड़गांव
सहरी सुबह 5:19 बजे
इफ्तारी शाम 6:30 बजे
इस्लाम में रमजान का क्या है महत्व?
इस्लाम में रमजान (Ramadan) को पाक महीना माना गया है. यह 30 या 31 दिनों का होता है. इस दौरान इस्लाम धर्म में विश्वास रखने वाले लोग रोजा रखते हैं और अल्लाह से दुआएं मांगते हैं. इस्लामिक मान्यता है कि इस महीने में की गई इबादत कई गुणा अधिक फलदायी होती है.
सहरी किसको कहते हैं?
रमजान के दिनों में सूरज निकलने से पहले फज्र की आजान के साथ ही सहरी ली जाती है. इस दौरान सूर्योदय के पहले खाया जाता है. इस रिवाज को ही सहरी कहा जाता है. सहरी का समय पहले से ही तय होता है. रमजान के दिनों में प्रत्येक मुस्लिम के लिए रोजा रखना अनिवार्य माना गया है. हालांकि, बच्चे, बूढ़ और शारीरिक रूप से अस्वस्थ लोगों के लिए यह जरूरी नहीं माना गया है.
इफ्तार का क्या है मतलब?
रमजान के दिनों में दिन भर बिना खाए-पिए रोजा रखा जाता है. शाम के समय नमाज पढ़ी जाती है. इसके बाद खजूर खाकर रोजा खोला जाता है. रोजा खोलने के लिए मगरिब की नमाज का इंतजार किया जाता है. इसे ही इफ्तार के नाम से जाना जाता है.