Bharat Express

Barsana Holi: आज से बरसाना में शुरू हुआ रंगोत्सव, अभी से जुटने लगी है मस्तों की टोली, पहले लड्डू फिर कल होगी लट्ठमार होली

Barsana Holi: आज रंगोत्सव से शुरु हुए कार्यक्रम और कल लट्ठमार होली को देखते हुए बरसाना श्रद्धालुओं की सुविधा और उनकी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.

Barsane ki holi

बरसाने की होली

Barsana holi: बरसाना की लट्ठमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. देश-विदेश से लोग इस दिन मथुरा के बरसाना और नंदगांव पहुंचते हैं. लट्ठमार होली सामान्य तौर पर मनाई जाने वाली होली से कुछ दिनों पहले ही पड़ती है. इस बार यह बरसाना में 28 फरवरी को मनाई जा रही है. बसंत पंचमी से शुरु हुए बरसाना में होली का चटक रंग लड्डू होली से देखने को मिलता है. वहीं आज से ही बरसाना में रंगोत्सव की शुरूआत हो चुकी है.

5 हजार किलो लड्डूओं से होगी लड्डू होली

आज रंगोत्सव से शुरु हुए कार्यक्रम और कल लट्ठमार होली को देखते हुए श्रद्धालुओं की सुविधा और उनकी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. वहीं CCTV कैमरे भी लगाए गए हैं. बरसाना की लट्ठमार होली के अलावा प्रसिद्ध लड्डू होली को देखने के लिए लोगों का जमघट लग जाता है. मंदिर के सेवायतों द्वारा निमंत्रण स्वीकार करने की जानकारी मिलते ही कार्यक्रम की शुरुआत हो जाती है. मंदिर प्रांगण में राधा रानी के समक्ष बैठकर समाज गायन होता है.

मंदिर परिसर लड्डू और रंग गुलाल से इस कदर सराबोर हो जाता है कि एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार लड्डू होली पर 5 हजार किलो लड्डूओं को तैयार करके रखा गया है. जिससे होली खेली जाएगी.

वर्षों से चली आ रही इस संस्कृति की एक झलक ही लोगों को आनंदित कर जाती है. सालों से इस दिन बरसाना की गोपियां नंदगांव के हुरियारों पर लठ्ठ बरसाती हैं. वहीं नंदगांव से हुरियारे बरसाना आकर फाग गाते हैं और गोपियों पर रंग फेंकते हैं. नंदगांव में भी इसी तरह की लठ्ठमार होली होती है. इस बार 1 मार्च को नंदगांव में लठ्ठमार होली होगी.

मथुरा में होली का पर्व मनाने का अंदाज बेहद ही निराला है. फूलों की होली के साथ इस पर्व की शुरुआत होती है. वहीं इस त्योहार का समापन रंगों की होली के साथ होता है.

इसलिए बरसाना में होती है लट्ठमार होली

नंदगांव के कृष्ण और बरसाने की राधा के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ये पर्व दुनियाभर में मशहूर है. भगवान श्रीकृष्‍ण शरारत वश राधा और उनकी सहेलियों को अपने गोप-ग्‍वालों के साथ मिलकर सताते रहते थे. एक बार की बात है द्वापर युग में फाल्‍गुन मास की शुक्‍ल पक्ष की नवमी को वे अपने पूरे दल बल के साथ होली खेलने राधा के गांव बरसाना पहुंच गए.

वहां पहुंचने पर राधा और उनकी सखियों ने लाठियों से उनका जोरदार स्वागत किया. अचानक से हुए इस हमले से कृष्‍ण व उनके दोस्तों ने से खुद का बचाव अपने साथ ले गए ढालों से किया. इसके बाद उन्होंने जमकर होली खेली. हांलाकि वे फगुआ देना भूल गए.

इसे भी पढ़ें: Holi 2023: होली पर इन उपायों को करते ही किस्मत भी देने लगेगी आपका साथ, व्यापार में होगी तरक्की

अगले दिन नंदगांव में होली 

राधा और उनकी सखियों ने फगुआ लेने के बहाने लोगों को इकट्ठा कर अगले दिन यानी दशमी तिथि को नंदगांव पहुंचकर फिर से लट्ठमार होली खेली. तब से हर साल बरसाना की गोपियां होली का नेग लेने बरसाना की होली के अगले दिन दशमी को नंदगांव आती हैं. तब एक बार फिर से लट्ठमार होली की धूम मचती है.

Also Read