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Sawan 2024: सावन में रोज मंदिर ना जा पाएं तो घर पर ऐसे करें शिवजी की पूजा, प्रसन्न होंगे भोलेनाथ

Sawan 2024: सावन का महीना 22 जुलाई से शुरू हो रहा है. ऐसे में अगर इस दौरान रोजना मंदिर ना जा सकें तो घर पर ही इस विधि से भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं.

shivling puja

शिवलिंग पूजा.

Sawan 2024 Parthiv Shivling Puja: सावन का पवित्र महीना 22 जुलाई से शुरू होने वाला है. शिव-भक्तों के लिए सावन का पूरा महीना खास होता है. इस दौरान देशभर के शिव मंदिर में भक्तों की सैलाव उमड़ पड़ता है. भक्त अपने-अपने तरीके से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं. मान्यता है कि भोलेनाथ भक्तों की उपासना से जल्द ही प्रसन्न होकर उनकी मनोकामना पूरी कर देते हैं. कई शिवभक्त सावन में रोज मंदिर नहीं जा पाते हैं, ऐसे में घर पर शिवजी की पूजा किस प्रकार करें, जानिए.

सावन में मंदिर नहीं जा सकें तो क्या करें?

सावन का महीना इसलिए भी खास होता है क्योंकि इस दौरान ज्योतिर्लिंगों के दर्शन हेतु शिव भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं. भक्त कोसों दूर की कांवड़ यात्रा करके शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. कहा जाता है कि सावन में रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करने से भगवान शिव अत्यधिक प्रसन्न होते हैं, जिससे भक्तों के कष्ट दूर हो जाते हैं. सावन मास में जो भक्त रोजाना मंदिर नहीं जा सकते हैं, वे घर में शिवलिंग की स्थापना करके भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं.

पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, सावन के दौरान घर में पार्थिव शिवलिंग की पूजा जा सकती है. ऐसे में जो भक्त मंदिर नहीं जा सकते हैं उन्हें घर पर ही पार्थिव शिवलिंग की स्थापना करके पूजा कर सकते हैं. मान्यता है कि रोजाना पार्थिव शिवलिंग पर जलाभिषेक या रुद्राभिषेक करने से शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. साथ ही साथ भक्तों को हर मनोकामना पूरी होती है.

पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लाभ

सावन मास में पार्थिव शिवलिंग की विधिवत पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा से संतान सुख भी प्राप्त होता है. इसके अलावा तमाम दुखों से मुक्ति मिलती है.

कैसे करें पार्थिव शिवलिंग की पूजा

सावन मास में पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लिए शिवलिंग के सामने मानसिक संकल्प लिया जाता है. इसके बाद मिट्टी का पार्थिव शिवलिंग बनाकर शिवजी के मंत्रों का जाप करते हुए उस पर एक-एक करके जल, फूल, बेलपत्र, भांग के पत्ते, धतूरा इत्यादि पूजन सामग्री अर्पित की जाती है. पार्थिव शिवलिंग पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बनाया जाता है.

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