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Swastik Sign: जानिए सनातन धर्म में स्वस्तिक का क्यों है बड़ा महत्व…इसकी आकृति में छुपे हैं कई रहस्य

स्वस्तिक चिह्न सनातन धर्म में शुभता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. यह भगवान गणेश का प्रतीक है और किसी भी शुभ कार्य से पहले इसका निर्माण अनिवार्य माना जाता है.

Swastik Sign

Swastik Sign: स्वस्तिक चिह्न सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. किसी भी बड़े अनुष्ठान या हवन से पहले स्वस्तिक चिह्न अनिवार्य रूप से बनाया जाता है. यह केवल शुभता का प्रतीक नहीं है, बल्कि इसके निर्माण से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है. साथ ही, इसे बनाने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है.

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक चिह्न बनाने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके अतिरिक्त, स्वस्तिक चिह्न से सभी मांगलिक कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं. आइए जानें कि स्वस्तिक चिह्न को इतना शुभ क्यों माना जाता है.

स्वस्तिक का अर्थ

स्वस्तिक शब्द तीन भागों से मिलकर बना है— ‘सु’ का अर्थ है शुभ, ‘अस’ का अर्थ है अस्तित्व, और ‘क’ का अर्थ है कर्ता. इस प्रकार, स्वस्तिक का संपूर्ण अर्थ होता है ‘मंगल करने वाला’. शास्त्रों के अनुसार, स्वस्तिक भगवान श्री गणेश का प्रतीक माना जाता है. जिस प्रकार किसी भी पूजन में गणपति को सर्वप्रथम पूजा जाता है, उसी प्रकार किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले स्वस्तिक बनाया जाता है.

स्वस्तिक चिह्न का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में स्वस्तिक चिह्न को अत्यंत लाभकारी बताया गया है. इसके अनुसार, दिवाली के दिन तिजोरी पर स्वस्तिक चिह्न बनाने से धन की कमी दूर होती है और तिजोरी कभी खाली नहीं रहती. नौकरी और व्यापार में लाभ प्राप्त करने के लिए ईशान कोण में सात गुरुवार तक सूखी हल्दी से स्वस्तिक बनाना शुभ माना गया है. वास्तु शास्त्र में भी स्वस्तिक के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है.

स्वस्तिक बनाने के जरूरी नियम

– स्वस्तिक की रेखाएं और कोण सही होने चाहिए, गलती से भी उल्टा स्वस्तिक नहीं बनाना चाहिए.
– स्वस्तिक बनाने के लिए लाल या पीला रंग सर्वोत्तम माना जाता है.
– जो व्यक्ति स्वस्तिक धारण करना चाहते हैं, उन्हें गोले के अंदर बना स्वस्तिक ही धारण करना चाहिए.
– हल्दी, कुमकुम या चंदन से स्वस्तिक बनाना शुभ माना जाता है. साथ ही, इसके मध्य में साबुत अक्षत (चावल के दाने) अवश्य रखने चाहिए. ध्यान रहे कि अक्षत टूटे न हों.

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-भारत एक्सप्रेस 



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