Bharat Express

Ashadha Purnima 2023: इस दिन है आषाढ़ माह की पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Ashadha Purnima 2023: पूर्णिमा तिथि को गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्‍नान करने की विशेष मान्यता है. वहीं इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है

Purnima 2023

पूर्णिमा

Ashadha Purnima 2023: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है. ऐसे में इस माह पड़ने वाली आषाढ़ मास की पूर्णिमा पूजा पाठ की दृष्टि से बेहद ही खास मानी जा रही है. धार्मिक दृष्टि से खास माने जाने वाली आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन को लेकर मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान करने और भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन धान्य में वृद्धि होती है और तमाम तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है. ऐसे में आइए जानते हैं आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि और इसका महत्व.

ज्योतिष के जानकारों के अनुसार, इस साल 2023 में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि​ 02 जुलाई रविवार को रात में 08 बजकर 21 मिनट से शुरु हो रही है. जोकि अगले दिन सोमवार को शाम 05 बजकर 08 मिनट तक रहेगी.

जानें आषाढ़ पूर्णिमा 2023 पर शुभ मुहूर्त

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में किए गए स्नान, दान और पूजा का अधिक महत्व है. बात करें इस दिन शुभ मुहूर्त की तो इस दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 05 बजकर 27 मिनट से शुरु होते हुए सुबह के 07:12 बजे मिनट तक रहेगा. उसके बाद पूजा पाठ के लिए शुभ-उत्तम मुहूर्त सुबह 08 बजकर 56 से शुरु होते हुए सुबह के 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा.

क्यों खास है आषाढ़ पूर्णिमा

पूर्णिमा तिथि को गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्‍नान करने की विशेष मान्यता है. वहीं इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने का भी विधान है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन रात्रि में चंद्रमा को दूध से अर्घ्‍य देना चाहिए इससे धन धान्‍य में वृद्धि होती है. इसके अलावा किसी तरह का कोई रोग हो तो उससे भी राहत मिलती है.

इसे भी पढ़ें: Sawan 2023: जुलाई में इस दिन से शुरु हो रहा है सावन माह, 19 साल बाद बना ऐसा संयोग, जानें शिव जी को क्यों है प्रिय

इस विधि से करें पूजा

आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्‍णु की पूरे विधि विधान से पूजा करना चाहिए. इसके अलावा संध्या काल में मां लक्ष्‍मी और रात्रि में चंद्र देव की पूजा करनी चाहिए. भगवान विष्‍णु की पूजा के लिए पीले फूल, पीले फल और हल्दी लगे पीले चावल के अलावा पीले वस्त्र के अलावा दीप-धूप से पूरे विधि विधान से पूजा करें. वहीं संध्या काल में मां लक्ष्‍मी को प्रसन्न करने के लिए केसर की खीर का भोग लगाएं. इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा भी करती हैं. वहीं इस दिन भगवान विष्णु के मंत्रों का भी जाप किया जाता है.



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read