सीता नवमी
Seeta Navmi 2023: वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीताजी का प्राकट्य हुआ. भूमि से उत्पन्न होने की वजह से उन्हें भूमात्मजा और मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री होने से उन्हें जानकी भी कहा जाता है.
सीता नवमी का महत्व
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार इस दिन भगवान राम और मां सीता की पूरे विधि विधान से पूजा पाठ करने पर जीवन की समस्त परेशानियां दूर होती हैं. वहीं इस दिन जहां निष्ठा पूर्वक व्रत रखने वाली सुहागिन स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, वहीं कुंवारी कन्याओं को मानचाहे वर की प्राप्ति होती है. इस दिन रामायण का पाठ करना चाहिए.
सीता नवमी 2023 मुहूर्त
वैशाख शुक्ल नवमी तिथि की शुरूआत 28 अप्रैल को शाम 04 बजकर 01 मिनट से हो रही है. वहीं इसका समापन 29 अप्रैल, शनिवार, शाम 06 बजकर 2 मिनट पर होगा. बात करें इस दिन पूजा मुहूर्त की तो सुबह 10 बजकर 19 मिनट से लेकर दोपहर के 12 बजकर 56 मिनट तक इसका योग अत्यंत ही शुभ है. आज के दिन रवि योग दोपहर 12 बजकर 47 मिनट से लेकर कल सुबह 05 बजकर 05 मिनट तक रहेगा, वहीं वृद्धि योग आज सुबह 10 बजकर 32 मिनट से पूरी रात तक रहेगा. इसके अलावा अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 12 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक के बीच रहेगा.
सीता नवमी पर इस विधि से करें पूजा
इस दिन घर के पूजा स्थल पर दीपक जलाते हुए व्रत का संकल्प लें. पूजा स्थान की साफ सफाई करते हुए देवी-देवताओं को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद मां सीता और भगवान राम का सुमिरन करें. भगवान को लगाने वाले भोग में कोई मीठी वस्तु अवश्य शामिल करें. पूजा में भगवान राम और मां सीता की आरती करें. पूजन सामग्री में चावल, धूप, सुहाग की सामग्री, दीप, लाल रंग के फूल अवश्य शामिल करें.
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क्या है सीता नवमी की कथा
धार्मिक कथाओं के अनुसार मिथिला राज्य में बहुत लंबे समय तक बरसात नहीं हुई. जिसे लेकर वहां के राजा जनक बहुत चिंतित हो उठे तब राजा जनक ने ऋषी मुनिसे इसकी समस्या का समाधान पूछा. जिसके बाद समस्या के हल के रूप में यह निकला की राजा जनक को स्वयं हल चलाना होगा. जिससे इंद्र देवता के प्रसन्न होने पर राज्य में वर्षा होने लगेगी. इसके बाद जब राजा ने हल चलाना शुरू किया तो हल चलाते समय उनका हल एक कलश से टकराया, जिसमें एक बहुत सुंदर बच्ची थी वहीं बच्ची मां सीता थीं.