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बरसाना और नंदगांव में इस दिन है विश्व प्रसिद्ध लट्ठमार होली, दोनों का है राधा और कृष्ण से खास रिश्ता, जानें क्या है मनाने की वजह

Barsana lathamar holi: सालों से इस दिन बरसाना की गोपियां नंदगांव के हुरियारों पर लठ्ठ बरसाती हैं. वहीं नंदगांव से हुरियारे बरसाना आकर फाग गाते हैं और गोपियों पर रंग फेंकते हैं.

Lathmar Holi

लठ्ठमार होली

Barsana lathamar holi: बरसाना की लट्ठमार होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. देश-विदेश से लोग इस दिन मथुरा के बरसाना और नंदगांव पहुंचते हैं. लट्ठमार होली सामान्य तौर पर मनाई जाने वाली होली से कुछ दिनों पहले ही पड़ती है. इस बार यह बरसाना में 28 फरवरी को मनाई जा रही है.

वर्षों से चली आ रही इस संस्कृति की एक झलक ही लोगों को आनंदित कर जाती है. सालों से इस दिन बरसाना की गोपियां नंदगांव के हुरियारों पर लठ्ठ बरसाती हैं. वहीं नंदगांव से हुरियारे बरसाना आकर फाग गाते हैं और गोपियों पर रंग फेंकते हैं. नंदगांव में भी इसी तरह की लठ्ठमार होली होती है. इस बार 1 मार्च को नंदगांव में लठ्ठमार होली होगी.

कान्हा की नगरी का अलग है अंदाज

मथुरा में होली का पर्व मनाने का अंदाज बेहद ही निराला है. फूलों की होली के साथ इस पर्व की शुरुआत होती है. वहीं इस त्योहार का समापन रंगों की होली के साथ होता है.

बरसाना और नंदगांव का है खास रिश्ता

नंदगांव के कृष्ण और बरसाने की राधा के प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ये पर्व दुनियाभर में मशहूर है. भगवान श्रीकृष्‍ण शरारत वश राधा और उनकी सहेलियों को अपने गोप-ग्‍वालों के साथ मिलकर सताते रहते थे. एक बार की बात है द्वापर युग में फाल्‍गुन मास की शुक्‍ल पक्ष की नवमी को वे अपने पूरे दल बल के साथ होली खेलने राधा के गांव बरसाना पहुंच गए.

वहां पहुंचने पर राधा और उनकी सखियों ने लाठियों से उनका जोरदार स्वागत किया. अचानक से हुए इस हमले से कृष्‍ण व उनके दोस्तों ने से खुद का बचाव अपने साथ ले गए ढालों से किया. इसके बाद उन्होंने जमकर होली खेली. हांलाकि वे फगुआ देना भूल गए.

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राधा पहुंची नंदगांव 

राधा और उनकी सखियों ने फगुआ लेने के बहाने लोगों को इकट्ठा कर अगले दिन यानी दशमी तिथि को नंदगांव पहुंचकर फिर से लट्ठमार होली खेली. तब से हर साल बरसाना की गोपियां होली का नेग लेने बरसाना की होली के अगले दिन दशमी को नंदगांव आती हैं. तब एक बार फिर से लट्ठमार होली की धूम मचती है.

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