गायत्री माता
Gayatri Mantra: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार गायत्री मंत्र की गिनती सबसे प्रभावशाली मंत्रों में होती है. माना जाता है कि गायत्री मंत्र का उच्चारण करने और इसका अर्थ समझने से एक अलग तरह की आत्म अनुभूति होती है.
वहीं गायत्री मंत्र का जाप करते समय कुछ खास बातों का ख्याल रखना चाहिए वर्ना इस मंत्र का पूरा लाभ नहीं मिलता. वहीं इससे मिलने वालों लाभ को देखा जाए तो यह एक तरह से जीवन में आने वाले सभी तरह के दुख और तकलीफों को दूर करता है, वहीं निर्णय लेने की क्षमता के साथ ही बड़ी से बड़ी बीमारियों में भी इसका लाभ देखा जाता है.
गायत्री मंत्र का अर्थ है महत्वपूर्ण
गायत्री मंत्र : “ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्” की महिमा बिना इसके अर्थ के नहीं जानी जा सकती है. गायत्री मंत्र का अर्थ है कि उस प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा का हम ध्यान करें. हमारी बुद्धि को वह परमात्मा सन्मार्ग में प्रेरित करें.
इस समय करें गायत्री मंत्र का जप
वेद-पुराणों में दिन में तीन ऐसे समय हैं, जब इसका जाप उत्तम माना जाता है. इसमें सबसे पहले समय में सुबह सूर्योदय से कुछ देर पहले गायत्री मंत्र का जाप शुरू करते हुए सूर्योदय के कुछ देर बाद तक इसे करना चाहिए.
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दोपहर में इस मंत्र को जपने का दूसरा उत्तम समय है. वहीं शाम को सूर्यास्त से कुछ देर पहले मंत्र जाप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक इसका तीसरा समय माना गया है. इसके अलावा गायत्री मंत्र का जाप कभी भी किया जा सकता है. लेकिन इसका जाप मौन रहकर करने में अधिक लाभ मिलता है.
मिलता है यह लाभ
गायत्री मंत्र के उच्चारण से क्रोध शांत होता है और इंसान मानसिक रूप से मजबूत होता है. वहीं इसके उच्चारण से शरीर को जल्दी किसी तरह की कोई बीमारी नहीं होती. मान्यता है कि इसके उच्चारण से शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होता है.
प्रतियोगी छात्रों के लिए भी यह मंत्र काफी उपयोगी है. स्मरण शक्ति बढ़ाने के अलावा इसके जाप से ज्ञान में भी बढोतरी होती है. वहीं धन के आगमन का मार्ग खुलता है.