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Agras Jama Masjid

कथावाचक ने कहा कि वह खुद ये बात नहीं कह रहे हैं बल्कि इसको लेकर मुस्लिम इतिहासकार ने खुद लिखा है. कई इतिहास की किताबें में भी इसका जिक्र हुआ है और मजार-ए-आलम ने अपनी किताब में भी इसका प्रमाण दिया है.