Bihar को अलग राज्य के रूप में पहचान दिलाने वाला सपूत
उस जमाने में बिहार, बंगाल का हिस्सा हुआ करता था. इसके बावजूद सांस्कृतिक रूप से पृथक होने के कारण डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा अपना परिचय हमेशा एक बिहारी के रूप में ही देते थे. बिहार को बंगाल से अलग करने की मुहिम को तेज करने के लिए उन्होंने एक अंग्रेजी अखबार भी निकाला था.