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Caste Census

बिहार में जातीय सर्वे के आंकड़े सामने आने के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है. पीएम नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार सरकार की बिहार जाति जनगणना और "जितनी आबादी उतना हक" की कहानी पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि भारत के गरीब लोग आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा थे.

Caste Census: संजय निषाद ने कहा कि पूर्व की सपा और बसपा सरकारों ने मछुआ समाज के साथ विश्वासघात किया. मछुआ समाज को पिछड़ा व अनुसूचित आरक्षण के नाम पर उलझाने का काम किया.

पिछली बार जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे, तब जातीय राजनीति की लहर ने बीजेपी ब्रांड के हिंदू ध्रुवीकरण को सफलतापूर्वक चुनौती दी थी।

‘जितनी आबादी, उतना हक’ के जवाब में पीएम मोदी ने चला बड़ा 'दांव'. दरअसल 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए थे. जिसके बाद से राजनीतिक बयानबाजी जारी है. अब इस मुद्दे को पीएम मोदी ने उठाते हुए नया दांव चल दिया है.

Lucknow: प्रमोद कृष्‍णम ने नीतीश के प्रधानमंत्री होने पर हमला बोला है और कहा है कि, 20 फीसदी दलित और 18 फीसद मुस्लिम आबादी के होते हुए तीन प्रतिशत वाली जाति का सीएम होना तो बेइमानी है.

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों और आने वाले लोक सभा चुनाव से पहले इस रिपोर्ट को जारी करने के पीछे राजनीतिक मंशा ज्यादा नजर आ रही है।

जाति आधारित जनगणना की मांग एक बार फिर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार को परेशान करने लगी है। आम चुनावों में मुश्किल से एक साल रह गए हैं और इसलिए वह इस संवेदनशील मुद्दे पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है।

UP News: भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बिहार सरकार पर सवाल खड़े किए और कहा कि बिहार सरकार ने किस नियम के आधार पर जातीय जनगणना कराई है. कांग्रेस, सपा, आरजेडी परिवारवाद की राजनीति करते हैं.

आखिरी बार जातिवार जनगणना 1931 में हुई थी, तब देश में 52% आबादी OBC थी. मनमोहन सरकार ने 2011 में सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना का फैसला कर 4389 करोड़ रुपए का बजट जारी किया. 2013 में SECC जनगणना पूरी हुई.

बिहार में नीतीश सरकार की तरफ से कराए गए जातीय सर्वे का विरोध करते हुए केंद्र सरकार ने अब फिर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. जिसमें उसने पैरा-5 को हटा दिया है और कहा है कि पैरा-5 गलती से शामिल हो गया था.