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District Court

न्यायमूर्ति ने यह दिशा-निर्देश दो लोगों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. जिन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद हिरासत में ले लिया गया था, लेकिन उन्हें दोषसिद्धि के फैसले की प्रति नहीं दी गई थी.