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अमेरिका और सऊदी अरब के बीच पेट्रो-डॉलर डील पर 8 जून 1974 को हस्ताक्षर किए गए थे और यह डील अमेरिकी वैश्विक आर्थिक प्रभाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी. अब सऊदी अन्य देशों की करंसी भी ले सकेगा.

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार 1.31 बिलियन डॉलर की कमी के साथ 593.74 बिलियन डॉलर पर आ गया है