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जम्मू-कश्मीर के इतिहास में आज पहली बार मनाया जा रहा संविधान दिवस, जानें, पहले क्यों नहीं सेलिब्रेट किया जाता था Constitution Day

जम्मू-कश्मीर अपने स्वयं के संविधान और ध्वज के साथ संचालित होता था, जहां सरकार के प्रमुख को प्रधानमंत्री और राज्य के प्रमुख को सदर-ए-रियासत (राष्ट्रपति) के रूप में नामित किया जाता था.

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राष्‍ट्रीय ध्‍वज तिरंगा.

Constitution Day: जम्मू-कश्मीर सरकार ने 26 नवंबर, 1950 को संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में संविधान दिवस के भव्य समारोह के आयोजन के लिए सोमवार को निर्देश जारी किए थे. यह आयोजन जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के बाद से इस प्रकार का पहला समारोह है. इस दिन जम्मू-कश्मीर में संविधान दिवस के तौर पर आयोजित किया जा रहा है.

कार्यक्रम में शामिल होंगे मनोज सिन्हा

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा श्रीनगर में इस कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगे. आज (26 नवंबर) के इस आयोजन में उपराज्यपाल के अलावा मंत्री भी प्रस्तावना पढ़ेंगे. हालांकि, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे क्योंकि वह उमरा (गैर-हज तीर्थयात्रा) के लिए सऊदी अरब के मक्का रवाना हो गए हैं.

उमर अब्दुल्ला ने ली थी सीएम पद की शपथ

उमर अब्दुल्ला 16 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद भारतीय संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ लेने वाले पहले मुख्यमंत्री बने थे. उनके पूर्ववर्ती 17 मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रति अपनी निष्ठा की शपथ लिया करते थे.

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जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान और ध्वज था

जम्मू-कश्मीर अपने स्वयं के संविधान और ध्वज के साथ संचालित होता था, जहां सरकार के प्रमुख को प्रधानमंत्री और राज्य के प्रमुख को सदर-ए-रियासत (राष्ट्रपति) के रूप में नामित किया जाता था. 1965 में इन उपाधियों को मुख्यमंत्री और राज्यपाल से बदल दिया गया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर का संविधान और ध्वज तब तक जारी रहा जब तक राज्य ने अपनी विशेष स्थिति खो नहीं दी. 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया गया, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर को लद्दाख सहित केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया.

-भारत एक्सप्रेस



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