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एनसीडीआरसी के इसी फैसले से वकीलों से जुड़े संस्थानों को आपत्ति थी. उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि वकील या लीगल प्रेक्टिशनर, डॉक्टरों और अस्पतालों की तरह अपने काम का विज्ञापन नहीं कर सकते.