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सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि प्रस्तावना में इन शब्दों को जोड़ना संसद को अनुच्छेद 368 के तहत मिली संविधान संशोधन की शक्ति से परे है.

याचिका में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय 1976 में 42वें संविधान संशोधन के जरिये संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े जाने की वैधानिकता को चुनौती दी गई है.