आज 21 अगस्त को भारत रत्न शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान की पुण्यतिथि पर राजधानी दिल्ली में ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में सबसे पहले पद्मश्री डॉ. सोमा घोष ने गायन की प्रस्तुति दी.
दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित संस्कार भारती में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया. संस्कार भारती के अलावा मधु मुर्छना और आर्ट एंड कल्चर की ओर से यह कार्यक्रम कराया गया. भारत एक्सप्रेस समाचार चैनल ने इस आयोजन में सहयोग दिया.
कार्यक्रम का शुभारंभ शाम 6:30 बजे किया गया था. इस दौरान शुभांकर घोष द्वारा निर्देशित फिल्म ‘याद-ए-बिस्मिल्लाह’ का प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम के आखिर में बिपुल कुमार राय और रविंदर ने संतूर और बांसुरी वादन की जुगलबंदी पेश की.
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान भारतीय संगीत के अनमोल रत्न थे. उन्होंने शहनाई वादन से शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. उनका जान 21 मार्च 1916 को बिहार के डुमरांव में कमरुद्दीन खान के रूप में हुआ था.
बताया जाता है कि 6 साल की उम्र में वे अपने मामा अली बक्स ‘विलायतु’ खान से ट्रेनिंग लेने के लिए उत्तर प्रदेश के बनारस शहर चले गए और फिर यहीं के होकर रह गए. उनके मामा काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े एक शहनाई वादक थे.
खान एक धर्मनिष्ठ मुसलमान थे, लेकिन उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के समारोहों में प्रस्तुति दी. उन्हें धार्मिक सद्भाव का प्रतीक माना जाता है. उनकी प्रसिद्धि इतनी थी कि उन्हें 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के समय दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में भारतीय ध्वज फहराए जाने के समारोह में प्रस्तुति देने के लिए चुना गया था.
चारों सर्वोच्च नागरिक सम्मान
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान को भारत के चारों सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है. उन्हें चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म श्री’ साल 1961 में, तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ साल 1968 में, दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ साल 1980 में मिला. इसके बाद साल 2001 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था. 21 अगस्त 2006 को 90 साल की उम्र में इस महान शहनाई वादक ने दुनिया को अलविदा कह दिया था.
-भारत एक्सप्रेस