कौन हैं बालमणि अम्मा, जिन्हें कहा जाता है ‘मलयालम साहित्य की दादी’, बिना स्कूल गए लिखी थीं 500 से ज़्यादा कविताएं
बालमणि अम्मा का जन्म 19 जुलाई 1909 का जन्म केरल के एक रुढ़िवादी परिवार में हुआ था, जहां लड़कियों को स्कूल भेजना अनुचित माना जाता था.
प्रभा खेतान: जिन्होंने स्त्री विमर्श को दी नई आवाज; रचनाओं में मिलता है बोल्ड और निर्भीक औरत का चित्रण
स्त्रियों को एक स्त्री ही समग्रता से समझ सकती है और प्रख्यात साहित्यकार प्रभा खेता ने साहित्य साधना में स्त्री के सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक और नैतिक मूल्यों को गहराई से समझा था.
शरद जोशी: समाज, सरकार और सिस्टम पर व्यंग्य बाण चलाने वाला अनूठा साहित्यकार
व्यंग्यकार शरद जोशी ने अपनी एक किताब में लिखा है कि चुने हुए मुख्यमंत्रियों की तीन जात होती हैं. एक तो काबिलियत से चुने जाते हैं, दूसरे वे जो गुट, जाति, रुपयों आदि के दम जीतते हैं और तीसरे वे, जो कोई विकल्प न होने की स्थिति में चुन लिए जाते हैं.
निकोलाय कोन्स्तांतीनोविच रेरिख: भारत-रूस मैत्री के प्रतीक
भारत महान रूसी कलाकार, विचारक, लेखक, कवि और दार्शनिक निकोलाय कोन्स्तांतीनोविच रेरिख के दिल के बहुत करीब था, जो उनके रचनात्मक कार्यों में अलग से झलकता है.
हरिशंकर परसाई: गाय का ‘धर्म’ और राजनीति का ‘मर्म’ समझाने वाले व्यंग्यकार
प्रख्यात लेखक और व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई लिखते हैं कि निंदा में विटामिन और प्रोटीन होते हैं. निंदा खून साफ करती है, पाचन-क्रिया ठीक करती है, बल और स्फूर्ति देती है.
भीष्म साहनी की लेखनी में दिखा समाज का आईना, हिंदी साहित्य में दिया है बहुमूल्य योगदान
प्रख्यात रचनाकार भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त 1915 को रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था. अपनी अद्भुत लेखनी के दम पर उन्होंने समाज के हर चेहरे को अपने नाटकों, कहानियों और उपन्यासों में उतारा.
ब्रिटिश सरकार ने मुंशी प्रेमचंद की इस रचना पर लगाया था बैन, ऐसे मिला उपन्यास सम्राट का नाम
मुंशी प्रेमचंद ने अपने लेखन से समाज और देश को जागरूक करने का काम किया. उन्होंने साल 1905 में ‘जमाना’ नाम के पत्र में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता गोपाल कृष्ण गोखले पर एक लेख लिखा.