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क्या कभी मां का गर्भ भी बन सकता है बच्चे का दुश्मन? एक रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

डॉक्टर ने जब जांच की तो पता चला कि बच्चे को आगे चलकर गंभीर पीलिया और सुनने की क्षमता जैसी बीमारी हो सकती है.

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सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Viral News: क्या कभी मां का गर्भ भी किसी बच्चे का दुश्मन हो सकता है? एक खबर सामने आने के बाद इसको लेकर बहस छिड़ गई है. ये तो सभी जानते हैं कि किसी भी बच्चे के लिए उसकी मां का गर्भ सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है लेकिन एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि एक मां का शरीर उसके बच्चे के लिए सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है और वो उसे पूरी तरीके से खत्म करना चाह रहा है. इस खबर ने सभी को चौंका कर रख दिया है.

ये मामला अमेरिका से सामने आया है, जिसमें दावा किया गया है कि एक महिला के साथ ऐसी घटना हुई है, जिसमें उसका गर्भ ही उसके बच्चे का दुश्मन बन गया है. यहां रहने वाले आर्थर विलियम नाम का शिशु अपनी मां के गर्भ में ही सेफ नहीं है. सोशल मीडिया पर वायरल इस खबर में कहा गया है कि गर्भ में बच्चे के सेफ न होने के कारण मां के गर्भ में रहने के बावजूद उसके खून को दो बार अब तक बदलने की जरूरत पड़ चुकी है. हालांकि मां के गर्भ में आर्थर एक साल का हो चुका है लेकिन उस रफ्तार से नहीं बढ़ पा रहा है, जिस रफ्तार से उसे बढ़ना चाहिए था.

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हालांकि मां और बच्चे की बिगड़ती हालत को देखते हुए आर्थर को सी-सेक्शन के जरिए गर्भ से बाहर निकाला गया. सात महीने के आर्थर की उम्र डॉक्टरों ने देखा कि उसके शरीर में उस रफ्तार से विकास नहीं हुआ है, जैसे कि सामान्य बच्चों का विकास होता है. हालांकि डॉक्टर ने जब जांच की तो पता चला कि आर्थर को आगे चलकर गंभीर पीलिया और सुनने की क्षमता जैसी बीमारी हो सकती है. जांच में डॉक्टरों ने पाया है कि बच्चे को अत्यधिक पीलिया है. फिलहाल उसे कार्डिक के नोआ आर्क चिल्ड्रन अस्पताल ले जाया गया. चौंका देने वाली बात तो ये है कि अक्सर इस बीमारी में लोगों का रंग पीला हो जाता है, वहीं इस बच्चे के साथ ऐसा कुछ भी नहीं था.

ये वजह आई सामने

डॉक्टर्स को जांच में पता चला कि जन्मे बच्चे का ब्लड ग्रुप उसके पिता मैट विलियम्स की तरह ही समान दुर्लभ था. डाक्टर ने इस केस को जब स्टडी किया तो वह बहुत ही हैरान हुए. इस ब्लड ग्रुप को RH NEGATIVE का कहा जाता है और मां सैम विलियम्स का ब्लड ग्रुप अलग था. यही कारण है कि मां का शरीर उस बच्चे को स्वीकार ही नहीं कर पा रहा था. फिलहाल इस मामले को चिकित्सा के क्षेत्र में काफी दुर्लभ माना जा रहा है.

-भारत एक्सप्रेस

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