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बस इतनी ही गर्मी में त्राहि-त्राहि…इस ग्रह पर तापमान होता है 575 डिग्री, तेजाब की होती है बारिश, जाने क्या यहां कभी संभव था जीवन?

खास बात ये भी है कि इस ग्रह पर एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है. हालांकि वर्तमान में तो यहां पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

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सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Planet News: इन दिनों भारत के कई हिस्सों में तेज धूप व प्रचंड गर्मी के कारण लोग परेशान हैं. सूर्य देव का प्रकोप लगातार जारी है और घर से बाहर निकलने पर लग रहा है कि मानो झुलसे जा रहे हों. पारा कभी 40 तो कभी 45 के पार जा रहा है. इस दौरान लू से तमाम मौतों की खबर ने लोगों को डरा कर रख दिया है. तो वहीं जिस गृह पर हम रहते हैं यानी पृथ्वी, इसी के पड़ोस में एक ऐसा ग्रह भी है जहां का तापमान सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे, क्योंकि कई बार तो ऐसा होता है कि यहां का तापमान 575 डिग्री सेल्सियस से ऊपर भी पहुंच जाता है. और तो और बारिश भी पानी की नहीं बल्कि तेजाब की होती है. तो आइए जानते हैं कौन सा है ये ग्रह, क्या यहां पर कभी जीवन था?

पृथ्वी जैसा ही है इस ग्रह का आकार

यहां पर जिस ग्रह की बात हम कर रहे हैं उसका आकार कुछ-कुछ पृथ्वी की तरह ही है और इसका नाम है शुक्र ग्रह (venus).हालांकि यहां का वायुमंडल हमारी पृथ्वी से बिल्कुल अलग है फिर भी वैज्ञानिकों का मानना है कि एक समय यहां पर जीवन की सम्भावना थी. इस ग्रह के बारे में एक खास बात ये भी है कि यहां एक दिन पृथ्वी के 243 दिनों के बराबर होता है. हालांकि वर्तमान में तो यहां पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.

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70 करोड़ साल पहले रहने की संभावना थी

इस ग्रह को लेकर वैज्ञानिकों ने कहा है कि 70 करोड़ साल पहले यहां पर रहने की संभावना थी. इस ग्रह का वातावरण 96 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड से बना है. बता दें कि ये ग्रह सौरमंडल में दूसरे नंबर पर मौजूद है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस ग्रह के भीतरी किनारे पर एक हैबिटेबल जोन है. इसीलिए वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह पर भी कभी जीवन संभव था.

इसरो ने यहां भी खोज करने की कही है बात

बता दें कि हाल ही में इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने घोषणा की थी कि भारत अपना अगला मिशन शुक्र ग्रह के लिए भेजेगा. इसी के साथ कहा था कि इसरो साल 2029-30 में शुक्र ग्रह के लिए एक मिशन लॉन्च करने वाला है. इस सम्बंध में उन्होंने मीडिया को बयान देते हुए कहा था कि शुक्रयान एक ऑर्बिटर मिशन रहेगा, जिससे इस ग्रह का चक्कर लगाकर बाहरी सतह को समझकर भविष्य में लैंडर और रोवर भेजा जा सके. दरअसल, शुक्र का एटमॉस्फेयरिक प्रेशर पृथ्वी से 100 गुना है और यह पूरी तरह से एसिड से भरा है. यही वजह है कि आप इसकी सतह में प्रवेश नहीं कर सकते और आपको ये भी नहीं पता कि इसकी सतह क्या है? ठोस है या नहीं.

-भारत एक्सप्रेस

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