सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
Rainy Season: बारिश का मौसम शुरू हो चुका है. इससे पहले ही लोग मच्छरों के आतंक से बचने के लिए अपने-अपने घरों में व्यवस्था करने लगे हैं तो वहीं नगर निगम भी मोहल्ले व इलाकों में फॉगिंग करा रहा है. ताकि मच्छरों से होने वाली बीमारियां न फैलें. हालांकि फॉगिंग से क्या मच्छर वाकई में मर जाते हैं? इसको लेकर भी लोगों के मन में सवाल खड़े होते रहते हैं.
दुनिया भर में हो जाती है इतनी मौत
बता दें कि मच्छरों से होने वाली बीमारी से बचने के लिए सरकार लगातार अभियान चलाकर लोगों को कूलर में या फिर कहीं भी साफ पानी एकत्र न होने की सलाह देती है और घर के आस-पास साफ-सफाई को जोर देती है. इसी के साथ ही नगर-निगम भी साफ-सफाई का अभियान चलाता है तो वहीं स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवाई आदि का वितरण भी किया जाता है.
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हर साल मच्छर दुनियाभर में एक मिलियन लोगों की मौत का जिम्मेदार होते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मच्छरों से होने वाली बीमारियाँ इंसानों के लिए बहुत बड़ी मुसीबत की तरह होती हैं. एक रिपोर्ट की मानें तो हर साल लगभग 390 मिलियन लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं और लाखों लोग जीका, चिकनगुनिया और पीले बुखार से प्रभावित होते हैं.
मर जाते हैं एडल्ट मच्छर
जानकार बताते हैं कि सायफेनोथ्रिन केमिकल को डीजल के साथ मिलाकर फॉगिंग की जाती है, जो इनडोर-आउटडोर दोनों होती है. ये एडल्ट मच्छरों को मारने का काम करती है. इन केमिकल्स का इस्तेमाल कर मच्छरों से लड़ा जा सकता है. बता दें कि गर्मी के बाद बारिश का मौसम शुरू होते ही डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया फैलाने वाले मच्छरों का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि ये मच्छर हर मौसम में परेशान करते हैं, लेकिन बरसात में बीमारियां ज्यादा फैलाते हैं. इनसे बचने के लिए लोग घरों में लिक्विड मॉस्किटो मशीन का इस्तेमाल करते हैं. तो वहीं नगर निगम फॉगिंग करा कर लोगों को राहत देने की कोशिश करता है.
-भारत एक्सप्रेस
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