Retail Inflation Rate: हाल ही में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अंतर्राष्ट्रीय संस्था IMF ने अनुमान जताया था, कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) और इजरायल-हमास संग्राम (Israel-Hamas War) के बावजूद आर्थिक मंदी के दौर में भारत विश्व की सबसे तेज रफ्तार से दौड़ती अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेगा. अब इसका उदाहरण भी हमारे सामने आने लगा है जो कि सितंबर की खुदरा महंगाई दर से जुड़ा है. सितंबर में खुदरा महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है तो चलिए आज आपको इसकी बारीकियां समझाते हैं.
दरअसल, आज जारी हुए देश के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर तीन महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. बता दें कि यह कमी मुख्य रुप से खाद्य पदार्थों की कीमतों में कमी के कारण आई है. सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.02 प्रतिशत पर आ गई है.
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गौरतलब है कि सितंबर में खुदरा महंगाई को लेकर आरबीआई का अनुमान था कि यह 6 प्रतिशत रहेगी लेकिन यह दर फिलहाल 5.02 पर आ गई है. खुदरा महंगाई की बात करें तो जुलाई में 7.4 प्रतिशत और अगस्त में 6.8 प्रतिशत थी. वहीं जून में यहीं आकड़ा 4.87 प्रतिशत था.
NSO द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सितंबर में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर पिछले महीने के 9.94 फीसदी से घटकर 6.56 फीसदी पर आ गई है. आर्थिक जानकारों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर लगातार कुछ महीनों तक पांच प्रतिशत के आसपास रहती है तो आरबीआई ब्याज दरों में आम जनता को बड़ी राहत दे सकता है.
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बता दें कि इस खनन उत्पादन 12.3 फीसदी बढ़ा है. वहीं बिजली उत्पादन में 15.3 फीसदी की वृद्धि हुई. आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान आईआईपी में सालाना आधार पर 6.1 फीसदी की वृद्धि हुई. एक साल पहले इसी अवधि में इसमें 7.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो कि देश की आर्थिक स्थिति के लिहाज से बेहद ही सकारात्मक संकेत हैं.
-भारत एक्सप्रेस