Public Provident Fund
Public Provident Fund यानी पीपीएफ एक ऐसी शानदार स्मॉल सेविंग योजना है, जिसमें कम समय में आप मोटी रकम जमा कर सकते हैं क्योंकि ये अन्य सेविंग्स स्कीम के मुकाबले अच्छा रिटर्न प्रदान करती है. इसमें आपको कंपाउंडिंग इंटरेस्ट के साथ टैक्स से छूट का भी भरपुर लाभ दिया जा रहा है. बता दें कि इस स्कीम में कोई भी भारतीय नागरिक इन्वेस्टमेंट कर सकता है. पीपीएफ का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल का होता है. लेकिन, अगर बीच में ही पीपीएफ होल्डर की मृत्यु हो जाए, तो उसकी जमा राशि किसे मिलती और इसके लिए क्या नियम हैं. आइए हम आपको बताते है.
नॉमिनी इस तरह करें क्लेम
अगर खाताधारक की मृत्यु किसी कारणवश योजना की मैच्योरिटी से पहले हो जाती है तो नॉमिनी पीपीएफ स्कीम में जमा राशि का हकदार हो जाता है. ऐसे में नॉमिनी अपनी आईडी दिखाकर खाते पर डेथ क्लेम कर सकता हैं. क्लेम करने के दौरान नॉमिनी को खाताधारक के डेथ सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ सकती है. पोस्ट ऑफिस या बैंक, जहां भी पीपीएफ अकाउंट खुलवाया गया हो, नॉमिनी को वहां जाकर डेथ क्लेम का फॉर्म भरना होता है और डेथ सर्टिफिकेट की कॉपी लगानी पड़ती है. इसके बाद नॉमिनी को पीपीएफ अकाउंट में जमा राशि मिल जाएगी और अकाउंट को बंद कर दिया जाएगा.
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डेथ क्लेम सेटलमेंट के नियम
अगर क्लेम की राशि 5 लाख रुपए है, तो डेथ क्लेम सेटलमेंट नॉमिनेशन, कानूनी सबूत या बिना कानूनी प्रूफ के ही अथॉरिटी के विवेक के आधार पर किया जा सकता है, लेकिन अगर राशि 5 लाख रुपए से अधिक है तो नॉमिनी को पीपीएफ अकाउंट में जमा राशि को हासिल करने के लिए कानूनी प्रूफ की जरूरत हर हाल में होगी. अगर कोई सबूत नहीं है तो कोर्ट से सक्सेशन सर्टिफिकेट लेकर बनवाना पड़ सकता है.
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बीमारी में भी निकाल सकते हैं पैसा
अगर पीपीएफ अकाउंट होल्डर किसी कारण से 15 साल तक इस योजना को नहीं चला पाते है, उसे या उसके बच्चों को कोई जानलेवा बीमारी है तो ऐसी स्थिति में 5 साल बाद पीपीएफ अकाउंट में जमा राशि को निकाला सकते है. हालांकि ऐसी स्थिति में आपकी जमा राशि की ब्याज दर में 1 फीसदी की कटौती की जाती है
-भारत एक्सप्रेस