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गोरखपुर पुलिस ने मोबाइल चोरी के गिरोह का किया भंडाफोड़, मिलती थी निश्चित सैलरी और मुफ्त खाना

गोरखपुर पुलिस ने एक ऐसे मोबाइल फोन चोरों के गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो अपने सदस्य को ‘सफलता दर’ के बावजूद निश्चित वेतन देने के साथ-साथ उन्हें मुफ्त खाना भी उपलब्ध कराते थे.

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प्रतीकात्मक फोटो.

गोरखपुर पुलिस ने एक ऐसे मोबाइल फोन चोरों के गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो अपने सदस्य को ‘सफलता दर’ के बावजूद निश्चित वेतन देने के साथ-साथ उन्हें मुफ्त खाना भी उपलब्ध कराते थे. एक मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, गोरखपुर के सरकारी रेलवे पुलिस (GRP) ने शुक्रवार रात इस गिरोह के सरगना और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया.

गिरोह का सरगना और उसके साथी

गिरोह का मुख्य आरोपी 35 वर्षीय मनोज मंडल है, जिसने अपने दो सहयोगियों – 19 वर्षीय करण कुमार और करण के 15 वर्षीय छोटे भाई, जिनका नाम उजागर नहीं किया गया है, के साथ मिलकर यह आपराधिक नेटवर्क चलाया था. पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 44 चुराए गए मोबाइल फोन बरामद किए हैं, जिनकी कीमत ₹10 लाख से अधिक है. इसके अलावा पुलिस ने एक आग्नेयास्त्र और चाकू भी बरामद किए, जिनका इस्तेमाल चोर गिरोह के सदस्य अपने शिकार को डराने-धमकाने के लिए करते थे.

निश्चित वेतन और मुफ्त सुविधाएं

इस गिरोह के संचालन का तरीका काफी अनोखा था, जिससे यह संगठित अपराध की नई परिभाषा गढ़ रहा था. गोरखपुर GRP के एसपी संदीप कुमार मीणा ने बताया कि गिरोह का सरगना मनोज अपने सहयोगियों को हर महीने ₹15,000 का निश्चित वेतन देता था. इसके अलावा उन्हें मुफ्त खाना और बाहर की यात्रा के लिए भत्ता भी प्रदान किया जाता था.

यह गिरोह विशेष रूप से रेलवे स्टेशनों और व्यस्त बाजारों में मोबाइल फोन चुराने में माहिर था. पुलिस अधिकारी ने बताया कि मनोज अपने गांव सैहबगंज में उन युवाओं को तलाशता था जिन्हें पैसे की आवश्यकता होती थी और जिनके पास थोड़ी-बहुत शिक्षा होती थी. वह इन युवाओं को तीन महीने तक ट्रेनिंग देता था और फिर उन्हें छोटे-छोटे लक्ष्य दिए जाते थे. जो सदस्य अपने लक्ष्य को पूरा करते थे, उन्हें गिरोह में शामिल किया जाता था और निश्चित वेतन मिलता था.

गिरोह के सदस्य यात्रा के दौरान मुफ्त खाना और रहने के लिए पैसा भी प्राप्त करते थे. पुलिस अधिकारी के अनुसार, “यह गिरोह किसी भी प्रतिरोध का सामना करने पर हथियारों का उपयोग करता था. कुछ मामलों में हथियारों का उपयोग शिकार को धमकाने के लिए किया जाता था.”

फोन की तस्करी और बिक्री

गिरोह द्वारा चुराए गए मोबाइल फोन नेपाल और बांगलादेश की सीमा पार भेजे जाते थे, जहां इन्हें उनके वास्तविक मूल्य से 30 से 40% कम कीमत पर बेचा जाता था.

सोशल मीडिया पर चर्चा

गिरोह के संचालन के इस तरीके को देखकर सोशल मीडिया पर लोग हैरान और प्रभावित हुए हैं. कई यूजर्स ने मजाकिया अंदाज में पूछा कि वे इस गिरोह का हिस्सा कैसे बन सकते हैं.

एक X यूजर ने लिखा, “इन लोगों ने काफी शानदार काम किया. अगर ये लोग वैध तरीके से काम करते, तो बहुत अच्छा होता. इनकी HR प्रैक्टिस तो कई कॉर्पोरेट कंपनियों से भी बेहतर हैं. अगर इनके पास अच्छे साधन होते तो ये एक वैध व्यवसाय चला सकते थे.”

एक अन्य यूजर ने पूछा, “क्या ये लोग स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने का भी प्लान कर रहे हैं?” जबकि X यूजर अभिषेक ने टिप्पणी की, “यह अब भी एक बेहतर नौकरी का विकल्प है, जो ‘वेरिएबल पे’ वाली प्राइवेट सेक्टर की नौकरी से कहीं बेहतर है.” कई और यूजर्स ने पूछा, “क्या इनके पास जॉइनिंग के लिए वैकेंसी है?” और “कैसे आवेदन करें?

-भारत एक्सप्रेस



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