सांकेतिक तस्वीर
लखनऊ की सीबीआई मामलों की विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने सरकारी संपत्ति को नष्ट करने और सरकारी लोकसेवकों को चोट पहुंचाने के मामले में तीन अधिवक्ताओं को एक वर्ष की सजा सुनाई है. इसके साथ ही कोर्ट ने 7,500 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. यह मामला 15 सितंबर 2000 को इटावा के कलेक्टर कार्यालय में हुई घटना से संबंधित है.
साल 2000 की है घटना
सीबीआई ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 26 सितंबर 2000 को जारी आदेश के तहत इटावा के सिविल लाइंस थाने में दर्ज अपराध संख्या 303/2000 की जांच अपने हाथ में ली. जांच के बाद, 28 जून 2011 को सीबीआई ने आरोपियों सुनील टंडन, धर्मेंद्र मिश्रा, सुनील बाजपेयी, अवनीश चौहान और वीरेंद्र सिंह यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था.
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24 साल बाद आया फैसला
विवेचना के दौरान दो आरोपियों, अवनीश चौहान और वीरेंद्र यादव, की मृत्यु हो गई, जिसके चलते उनके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई. विचारण के बाद, अदालत ने तीन शेष आरोपियों, सुनील टंडन, धर्मेंद्र मिश्रा और सुनील बाजपेयी को दोषी ठहराया और उन्हें एक वर्ष की सजा सुनाई. इसके साथ ही कोर्ट ने प्रत्येक पर 7,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया. सीबीआई ने जनता से अपील की है कि कानून-व्यवस्था का पालन करें और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों से बचें.
-भारत एक्सप्रेस
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