

उत्तर प्रदेश में वाहन पंजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के उद्देश्य से योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. जनवरी से मार्च 2025 के बीच वाहन 4.0 पोर्टल पर अपलोड किए गए डाटा की समीक्षा में कई अनियमितताएं सामने आईं, जिन पर परिवहन विभाग ने सख्त रुख अपनाया है.
डीलरों पर नियमों की अनदेखी का आरोप
जांच में पाया गया कि कई डीलरों ने बिना पंजीकरण के ही वाहन ग्राहकों को सौंप दिए. साथ ही, अपूर्ण और अपठनीय दस्तावेज पोर्टल पर बार-बार अपलोड किए गए, जिससे पंजीकरण प्रक्रिया बाधित हुई. विभागीय निर्देशों की अवहेलना करते हुए रिवर्ट की गई फाइलों में भी सुधार नहीं किया गया. इन लापरवाहियों के चलते 51 डीलरों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. लखनऊ के एक प्रमुख डीलर का नाम भी सूची में शामिल है.
आरटीओ कार्यालयों की प्रशासनिक चूक उजागर
डीलरों के साथ-साथ कई एआरटीओ कार्यालयों में भी फाइलों की उचित निगरानी न होना, त्रुटिपूर्ण फाइलों को मंजूरी देना और रिव्यू में लापरवाही जैसी गंभीर चूक सामने आई हैं. इस पर कार्रवाई करते हुए 28 सहायक संभागीय परिवहन अधिकारियों को भी कारण बताओ नोटिस भेजा गया है.
“लापरवाही पर नहीं चलेगी रियायत” — परिवहन आयुक्त
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि सरकार की मंशा नागरिकों को समय पर और पारदर्शी सेवाएं देना है. इसलिए किसी भी स्तर की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और नियमों के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी.
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