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संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद ईडी और इनकम टैक्स ने चार राज्यों में ताबड़तोड़ छापेमारी की है. ईडी ने नगर पालिका भर्ती घोटाले के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री रथिन घोष के यहां छापेमारी की. तो आईटी ने चेन्नई में डीएमके सांसद के यहां रेड डाली है.

‘जितनी आबादी, उतना हक’ के जवाब में पीएम मोदी ने चला बड़ा 'दांव'. दरअसल 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातीय जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए थे. जिसके बाद से राजनीतिक बयानबाजी जारी है. अब इस मुद्दे को पीएम मोदी ने उठाते हुए नया दांव चल दिया है.

टिकट बंटवारे पर सचिन पायलट की खरी-खरी, गहलोत की बढ़ी टेंशन! दरअसल राजस्थान विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी दल कांग्रेस के सामने टिकट बंटवारा बड़ी चुनौती बना हुआ है. ऐसे में कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट ने साफ कर दिया है कि किसे टिकट मिलेगा.

इंदिरा का कार्ड, हिंदुओं का हक...जातीय जनगणना की 'काट' के लिए नरेंद्र मोदी ने खोल दिए अपने पत्ते. बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद से ही विपक्ष आक्रामक है. विपक्ष सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी को घेरने में जुटा है. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं.

बिहार में हुए जातिगत सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने फिर से मंडल राजनीति की यादें ताजा कर दी हैं. कई एक्सपर्ट इसे मंडल 2.0 भी कह रहे हैं.

नौकरी के बदले जमीन मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को जमानत मिल गई है। इन लोगों को 50-50 हजार को निजी मुचलके पर जमानत मिली है।

मायावती ने कहा है कि यूपी सरकार को अपनी नीति और नीयत में जनभावना का ध्यान रखते हुए जातीय आधारित गणना पर सर्वे शुरू कर देना चाहिए। यह भी कहा कि असल में केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना कराकर ही वाजिब अधिकार सुनिश्चित किया जा सकता है।

जाति आधारित जनगणना की मांग एक बार फिर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार को परेशान करने लगी है। आम चुनावों में मुश्किल से एक साल रह गए हैं और इसलिए वह इस संवेदनशील मुद्दे पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है।

साल के पहले 7 महीनों के भीतर ही पाकिस्तान में 18 से ज्यादा आत्मघाती हमले हुए. वैसे तो इस देश में पहले भी धमाके होते रहे, लेकिन अब धार्मिक जगहों पर सुसाइड बॉम्बिंग की घटनाएं बढ़ी हैं.

2023 के नोबेल विजेताओं के नाम की घोषणा शुरू हो चुकी है. साल 1901 से आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल की इच्छाओं के मुताबिक पुरुषों, महिलाओं और संगठनों को उनके ऐसे कार्यों के लिए नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाते रहे हैं, जिससे मानव जाति को को बड़ी तरक्की मिली है।