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राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों में कई महंत-महाराज अपना भाग्य आजमाने की तैयारी कर रहे हैं. पार्टियों से दावेदारी कर ये 'संत' नेता अपने-अपने इलाकों में दौरे भी कर रहे हैं.

देश के पांच राज्यों में इसी साल चुनाव होने हैं. जिनमें से चार राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश, छतीसगढ़ और तेलंगाना अगले तीन महीने में बाजार से भारी कर्ज उठाने जा रहे हैं. इन तीन महीनों में सभी राज्य 2.37 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेने बॉन्ड बाजार में जा रहे हैं.

यूपी के देवरिया में पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेम यादव की धारदार हथियार से हत्या हुई थी. प्रेम का शव मिलने के बाद उसके परिजनों ने प्रकाश दुबे के घर पर धावा बोल दिया और परिवार के पांच लोगों की धारदार हथियार और गोली मारकर हत्या कर दी.

मध्यप्रदेश की तर्ज पर बीजेपी राजस्थान में भी सांसदों को चुनाव लड़वाएगी। लेकिन मुश्किल सीटों पर। दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति और पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में पहुंचे प्रदेश के सांसदों को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा गया है। साथ ही यह भी कहा है कि वे सेफ सीट की उम्मीद नहीं करें।

छत्तीसगढ़ भाजपा ने प्रत्याशियों की सूची तय कर ली है। इसमें कई तरह के प्रयोग भी किए गए हैं। नए चेहरों को शामिल किया जा रहा है। अभी करीब 50 नामों पर मुहर लग चुकी है। ​​​​​राजनांदगांव से डा. रमन सिंह, लोरमी से अरुण साव, धरसीवां से अनुज शर्मा और बसना से संपत अग्रवाल का नाम लगभग तय माना जा रहा है।

राजस्थान विधानसभा चुनावों को लेकर भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक हुई। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में आयोजित हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह मौजूद रहे। बैठक में बीजेपी की पहली लिस्ट पर चर्चा के बाद अंतिम मुहर लगी। बैठक में 40 से 50 प्रत्याशियों के नाम तय हैं।

यूं तो एकतरफा प्यार में मर्डर के कई मामले सामने आ चुके हैं. लेकिन दिल्ली में महिला कॉन्स्टेबल की हत्या के दो साल बाद हुए खुलासे ने सभी को चौंका दिया है. इस केस की सबसे खास बात यह है कि इसमें हत्यारा कोई और नहीं बल्कि महिला कॉन्स्टेबल के साथ ही काम करने वाला हेड कॉन्स्टेबल है.

भारत में अफगान एम्बेसी आज से बंद हो गई है. दूतावास ने तीन पन्नों के अपने बयान में इस फ़ैसले की तीन वजहें बताई- पहली- भारत सरकार से समर्थन न मिलना, दूसरी- अफ़ग़ानिस्तान के हितों की रक्षा से जुड़ी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाना और तीसरी- कर्मचारियों की संख्या और संसाधनों में कमी.

मध्यप्रदेश की सियासत में 34 छोटे-बड़े राजघराने सक्रिय हैं. इनमें 19 ऐसे हैं जिनका कोई न कोई सदस्य विधानसभा चुनाव के लिए एक बार फिर मैदान में उतरने को तैयार हैं.

अमेरिका में शटडाउन का खतरा मंडरा रहा था। इसे रोकने के लिए विधेयक पारित किया गया. संसद ने 45 दिन के फंडिंग बिल को मंजूरी दे दी है। इससे शटडाउन का खतरा लगभग टल चुका है.